ये चिड़िया बाघ के मुंह से भी चुराती है निवाला, बाह के जंगल में बढ़ रहा कुनबा

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एशियन चिड़िया रूफस ट्रीपी की आवाज बेहद मधुर है, लेकिन इसका कारनामा बेहद खतरनाक है। ये चिड़िया बाघ के मुंह में घुस कर अपना भोजन कर आसानी से निकल जाती है। बाह के जंगलों में एशियन चिड़िया रूफस ट्रीपी (डेंड्रोकिट्टा वागाबुंडा) की चहचहाहट बढ़ रही है। इसकी आवाज लोगों को बांसुरी जैसी मधुर आवाज गीत मल्हार का एहसास कराती है। वैसे रूफस ट्रीपी का स्थानीय नाम टका चोर है। यह चिड़िया सिक्के, आभूषण, चमकदार वस्तुओं को चुरा कर अपने घोंसले में रख देती है।

बाह के रेंजर आरके सिंह राठौड़ ने बताया कि आंख गहरे लाल रंग और पैर भूरे रंग के होते हैं। सिर और छाती काले। इसकी चोंच अलग तरह की होती है। ये काफी फुर्तीली होती है, जो बहुत ही तेजी से एक डाल से दूसरी पर पहुंच जाती है। रूफस ट्रीपी सर्वाहारी चिड़िया है। आमतौर पर बीज, फल, कीड़े, छिपकली, मेंढक, छोटे पक्षी इसका भोजन होते हैं, लेकिन जिन इलाकों में बाघ होते हैं तो ये खाने के लिए उन पर ही निर्भर रहती है।

बाघ की डेंटिस्ट कही जाती है ये चिड़िया रेंजर आरके सिंह राठौड़ ने बताया कि ये चिड़िया बाघ के दांतों के बीच फंसे मांस के टुकड़ों को खाती है। खास बात ये है कि अपनी फुर्ती के कारण ये बाघ के मुंह में घुसकर इतनी तेजी से बाहर निकल आती है, कि बाघ को पता ही नहीं चलता है। हालांकि बाह के जंगल में बाघ नहीं हैं, लेकिन यहां पाए जाने वाले लेपर्ड इसके निशाने पर रहते हैं। इस चिड़िया को बाघ की डेंटिस्ट भी कहा जाता है।


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