अंतिम ,प्रथम

लेखक - संजय दुबे

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कैसे हो सकता है कि अंतिम, प्रथम आ जाये लेकिन अनेक अवसरों पर ऐसा हुआ है कि अंतिम, प्रथम स्थान आकर ये संदेश दिया है कि इस दुनियां में कुछ भी सम्भव है बशर्ते कोशिश में ईमानदारी हो। ऐसी ही ईमानदार कोशिश का नज़ारा बल्गारिया में देखने को मिला जब भारत की 18 वर्षीय अंतिम ने विश्व जूनियर कुश्ती स्पर्धा में स्वर्णिम सफलता हासिल की। 

 अंतिम का नाम और कुश्ती का नाम सुनने पर पहले तो बकिंघम कामनवेल्थ में भारत के अमित पंघाल का नाम याद आया लेकिन अंतिम पंघाल अब स्वयं ही एक नाम है जिन्हे महिला कुश्ती में आने वाले समय मे निश्चित रूप से जाना जाएगा। 

हरियाणा देश का एक ऐसा राज्य है जिसे हम खेल हब कह सकते है । गुरु हनुमान से दास्तां शुरू होती है और आगे चलकर सतपाल महाराज और फिर लम्बी फेरहिस्त बनती है। इसी फेरहिस्त में महिला पहलवानों का नाम आता है जब महावीर सिंह फोगाट अपनी बेटियों को पहलवान बनाकर गीता, बबिता ,विनेश के रूप में स्थापित करते है।

हरियाणा, जहां बेटी के होने पर मातम पसरता था वहाँ बेटियां ऐसा धूम मचा रही है । आश्चर्य होता है कि बेटियों ने ही माहौल बदल कर रख दिया है। याद करता हूं अस्सी के दशक में जूनियर इंडिया टीम की एक महिला खिलाड़ी से मुलाकात के दौरान उन्होंने बताया था कि पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए राष्ट्रीय खिलाड़ियों को बोनस अंक हरियाणा में मिलते है। आज चार दशक गुजरने को है परिणाम सबके सामने है। हरियाणा राज्य की सरकारों की तारीफ बनती है कि खेल का माहौल बनाने में उनसे देश के दीगर राज्य सीख ले सकते है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को नगद धनराशि और शासकीय सेवा की गारंटी इस राज्य में है। जाहिर है कि जब आप वातावरण बनाते है तो उसका परिणाम भी मिलता है। हाल ही में बकिंघम कामनवेल्थ में पदक जीतने के अलावा चौथे स्थान पर आने वाले के साथ साथ भाग लेने वाले खिलाड़ियों को हरियाणा सरकार नगद राशि और शासकीय सेवा में भर्ती का आदेश दे चुकी है।

 बात अंतिम की शुरू करते है। वे जूनियर कुश्ती में पिछले तीन सालों में जितने वाले पदक को कांस्य से रजत और अब स्वर्ण में बदला है अंतिम का नाम कुछ और होकर अंतिम ही क्यो है? रामनिवास पंघाल भी महावीर सिंह फोगाट के समान पुत्र प्राप्ति की चाह में तीन बेटियों के बाद चौथी संतान भी बेटी पाए तो आगे बेटी न हो की उम्मीद में टोटके के रूप में "अंतिम" रख दिया। लेकिन अंतिम ने ही अपने हुनर से आज परिवार को समूचे दुनियां में परिचित करा दी है। आप मान सकते है कि आनेवाले समय मे अनेक अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में अंतिम ,प्रथम रहेगी।


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