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जैन समाज का पर्युषण पर्व आरंभ
कल यानी 24 अगस्त से जैन धर्म का प्रमुख पर्व पर्युषण शुरू हो रहा है। ये पर्व लगातार दस दिनों तक चलता है। ये पर्व भाद्रपद मास की पंचम तिथि से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तिथि तक मनाया जाता है। इस साल जैन समाज का ये महापर्व 24 अगस्त से शुरू हो रहा है, जो कि 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगा। पर्युषण को जैन धर्म के लोग काफी महत्वपूर्ण त्योहार मानते हैं। जैन धर्म में पर्युषण को पर्वों का राजा कहा जाता है। ये पर्व भगवान महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म, जिओ और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है। साथ ही मोक्ष प्राप्ति के द्वार खोलता है। इस महापर्व के जरिए जैन धर्म के अनुयायी उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम ब्रह्मचर्य के जरिए आत्मसाधना करते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं जैन धर्म के इस प्रमुख पर्व के बारे में खास बातें...
जैन धर्म में पर्युषण को दशलक्षण के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, जैन धर्म में दो क्षेत्र हैं। एक दिगंबर और दूसरा श्वेतांबर। श्वेतांबर समाज 8 दिन तक इस त्योहार को मनाते हैं, जिसे अष्टान्हिका कहा जाता है। वहीं दिगंबर समाज जैन दस दिन तक पर्युषण पर्व को मनाते हैं, जिसे दसलक्षण कहते हैं। इस दौरान लोग ईश्वर के नाम पर उपवास करते हैं और पूजा अर्चना करते हैं।
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