एनवी रमना हुए रिटायर, लिए कई ऐतिहासिक फैसले, नए सीजेआई यूयू ललित ने बड़े सुधार करने का किया ऐलान

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भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना ने राजद्रोह कानून पर रोक लगाने, धनशोधन के फैसले की समीक्षा करने, पेगासस जासूसी और लखीमपुर खीरी मामलों की जांच का आदेश देने और शीर्ष अदालत में रिकॉर्ड 11 तथा उच्च न्यायालयों में 220 से अधिक न्यायाधीशों की नियुक्तियां सुनिश्चित करने सहित कई महत्वपूर्ण न्यायिक और प्रशासनिक फैसले लिये. अपने कार्यकाल के अंतिम दिन 48वें सीजेआई ने शीर्ष अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग सुनिश्चित करने के 2018 के फैसले पर अमल के तहत आज रस्मी पीठ की कार्यवाही की वेबकास्टिंग सुनिश्चित करके एक और उपलब्धि हासिल कर ली.

आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में एक कृषक परिवार से ताल्लुक रखने वाले न्यायमूर्ति रमना ने 24 अप्रैल, 2021 को ऐसे समय तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की जगह ली थी, जब शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के पद बड़े पैमाने पर रिक्त थे. गौरतलब है कि 17 नवंबर, 2019 को तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष अदालत में एक भी न्यायाधीश की नियुक्ति नहीं हुई थी और जब न्यायमूर्ति रमना ने सीजेआई का पद संभाला था तब शीर्ष अदालत में नौ रिक्तियां थीं, जबकि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के लगभग 600 पद रिक्त थे.


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