कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी बोले, हम पार्टी के सदस्य हैं...किरायेदार नहीं

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कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने गुलाम नबी आजाद के पार्टी से त्यागपत्र देने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी है. हालांकि, उन्होंने आजाद का नाम या उनके पार्टी छोड़ने का जिक्र नहीं किया है. अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा कि दो साल पहले, हम में से 23 ने सोनिया गांधी को लिखा था कि पार्टी की स्थिति चिंताजनक है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए. उस पत्र के बाद कांग्रेस सभी विधानसभा चुनाव हार गई. अगर कांग्रेस और भारत एक जैसे सोचते थे, तो लगता है कि दोनों में से किसी एक ने अलग तरह से सोचना शुरू कर दिया है.

कहा कि ऐसा लगता है कि 1885 से मौजूद भारत और कांग्रेस के बीच समन्वय में दरार आ गई है. आत्मनिरीक्षण की जरूरत थी. मुझे लगता है कि 20 दिसंबर 2020 को सोनिया गांधी के आवास पर हुई बैठक में सहमति बन गई होती तो यह स्थिति नहीं आती. कांग्रेस सांसद आगे कहते हैं कि गुलाम नबी आजाद के पत्र के गुण-दोष में मैं नहीं जाना चाहता. वह इसके बारे में समझाने की सबसे अच्छी स्थिति में होंगे. मनीष तिवारी ने कहा कि जिस व्यक्ति की हैसियत एक वार्ड चुनाव लड़ने की भी नहीं है, जो व्यक्ति कभी कांग्रेस नेताओं का चपरासी हुआ करता था, वह जब पार्टी के बारे में ज्ञान देता है तो हंसी आती है।

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. कांग्रेस सांसद कहते हैं कि मैंने इस पार्टी को 42 साल दिए हैं. मैं यह पहले भी कह चुका हूं कि हम इस संस्था यानी कांग्रेस के किरायेदार नहीं हैं, हम पार्टी के सदस्य हैं. अब अगर आप हमें बाहर निकालने की कोशिश करेंगे तो यह दूसरी बात है. तब देखा जाएगा।

 


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