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ज्ञान की पाठशाला है गणेश जी का हर अंग
सभी देवी देवताओं में श्रेष्ठ और सबसे पहले पूजे जाने वाले भगवान गणेश जी हैं. कोई भी शुभ काम शुरू होने से पहले गणपति का ध्यान किया जाता है. आदिदेव महादेव के गणों के अध्यक्ष भी गणपति ही हैं. इसलिए इन्हें गणाध्यक्ष भी कहा जाता है. गणपति बप्पा का हर अंग अपने आप में एक सीख देने वाला है. स्वभाव से नटखट और चंचल गणेश जी सबसे ज्यादा बलशाली और बुद्धिमान हैं. गणेश भगवान का अंग ज्ञान की वो पाठशाला है, जो इंसान को जीवन में आगे बढ़ने और हमेशा जीतने का संदेश देती हैं. चाहे बड़ा हो या बच्चा उनकी इस ज्ञान की पाठशाला हर किसी के लिए बेहद जरूरी है. तो फिर चलिए जानते हैं, इस ज्ञान की पाठशाला के बारे में.
छोटी आंखें: गणेश जी की छोटी आंखें ध्यान लगाने की सीख देती हैं. देख परख कर फैसला लेने की ये सीख आपके भी बड़े काम आ सकती है.
बड़े कान: गणेश जी के बड़े काम बुरी बातों को कान से दूर रखने की सीख देते हैं. वो एक सीख ये भी देते हैं कि आप सुनिए सबकी, लेकिन अपनी बुद्धि और विवेक से अपना फैसला लें.
छोटा मुंह: भगवान गणेश का छोटा मुंह कम बोलने की सीख देता है. आपको भी ये सीख अपनी असल जिंदगी में जरुर शामिल करनी चाहिए।
बड़ी सूंड: गणेश जी की बड़ी सूंड अच्छी दक्षता और क्षमता का प्रतीक है. आप इससे ये सीख लें कि कोई भी सफलता आसानी से नहीं मिल सकती उसके लिए लचीला और अनुकूल होना जरूरी है.
बड़ा पेट: भगवान गणेश का बड़ा पेट ये सीख देता है कि, चाहे कुछ अच्छा हो या बुरा सब कुछ अपने पेट में शांति से पचाएं।
चार भुजाएं: भगवान गणेश की चार भुजाएं मन, बुद्धि, अहंकार और विवेक का प्रतीक है. इससे हमें ये सीख मिलती है कि इन चार विशेषताओं को हमें अपने अंदर बढ़ानी चाहिए. गणेश भगवान के ये अंग ऐसे हैं जो ज्ञान की पाठशाला है. इससे हमें आगे बढ़ने की सीख भी मिलती है.
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