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सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट पर जताई नाराजगी, कहा- आगे से ध्यान रखें
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट पर नाराजगी जताते हुए जमानत आवेदन पर जल्द से जल्द फैसला लेने की सलाह दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा "जमानत आवेदन चाहे वह गिरफ्तारी से पहले की जमानत हो या बाद की, इसमें यथासंभव जल्द से जल्द फैसला किया जाना चाहिए. हम हमेशा उम्मीद करते हैं कि जमानत आवेदन पर जल्द से जल्द फैसला हो।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका पर देरी से हो रही सुनवाई का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. इस मामले में याचिकाकर्ता ने बताया था कि हाई कोर्ट में उसकी जमानत याचिका की सुनवाई में देरी की जा रही है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के मामले को सुनने में देर करने पर नाराजगी जाहिर की.।।। राजनांदगांव के छुईखदान में पदस्थ पटवारी तुलसीराम साहू के खिलाफ उसके भांजे लोकेश साहू ने सिविल कोर्ट में मुकदमा पेश किया. मुकदमा में याचिकाकर्ता ने उसकी जमीन के रिकॉर्ड में हेरफेर का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया. मामला पुलिस में आने के कारण पटवारी तुलसीराम ने गिरफ्तारी से बचने अपने निवास स्थान दुर्ग के जिला कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी लगाई, जो खारिज हो गई. इसके बाद पटवारी तुलसी राम साहू ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत आवेदन पेश कर अंतरिम आवेदन भी दिया कि जब तक अग्रिम जमानत पर सुनवाई पूरी ना हो जाए गिरफ्तारी ना की जाए. इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपक तिवारी ने इस आवेदन को खारिज कर मामला ड्यू कोर्स में डाल दिया, ताकि नंबर आने पर ही सुनवाई हो. इसे तुलसीराम ने अपनी अधिवक्ताओं के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और अंतरिम आवेदन दिया. सुप्रीम कोर्ट ने तुलसीराम साहू की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी और राज्य शासन को नोटिस जारी कर दिया.
पटवारी तुलसीराम साहू की जमानत के मामले में हाईकोर्ट में सिंगल बेंच ने कहा कि "सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने दें. इसके बाद कुछ दिनों पहले ही जस्टिस रजनीश दुबे की बेंच में यह मामला चला गया. जस्टिस रजनीश दुबे ने सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता तुलसी राम साहू को जमानत दे दी. अब याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में जाकर यह मामला वापस लेने का अनुरोध किया, क्योंकि हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रस्तोगी ने कहा कि यह सामान्य प्रकरण नहीं है. इसमें हाईकोर्ट ने गंभीर लापरवाही की है. जमानत के मामले को लंबे समय तक नहीं सुनना और निर्धारित नहीं करना सही प्रवृत्ति नहीं है. उन्होंने इस मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की प्रति छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को भेजकर चीफ जस्टिस को एक ज्यूडिशियल नोट जारी करने कहा है. ताकि फिर से कोई इस तरह का आदेश जारी ना करें. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई देर से करने को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है.
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