सुप्रीम कोर्ट की राय, 10 वर्ष कैद के बावजूद अपीलें लंबित हों तो दोषियों को दे देनी चाहिए जमानत

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राय दी कि वैसे दोषी जो 10 वर्ष जेल में बिता चुके हों और उनकी अपीलों पर निकट भविष्य में सुनवाई होने के आसार न हों तो उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया जाना चाहिए, बशर्ते उन्हें जमानत देने से इनकार करने के अन्य कारण न हों।

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ जेल में बंद आजीवन कारावास के दोषियों की याचिकाओं पर विचार कर रही थी। इन दोषियों की अपील विभिन्न हाईकोर्ट में लंबित है। गुरुवार को सुनवाई के दौरान, न्याय मित्र गौरव अग्रवाल ने पीठ को बताया कि पूर्व अदालती आदेश के आलोक में उम्रकैद के दोषियों की पहचान करने की कवायद के संबंध में छह हाईकोर्ट की ओर से हलफनामा दायर किया गया है।

पीठ ने कहा कि 10 साल से अधिक कारावास की सजा काट चुके दोषियों को जमानत पर रिहा करने के अलावा उन मामलों की पहचान करने की आवश्यकता है, जहां दोषियों ने 14 साल की कैद पूरी कर ली है। उन्हें निश्चित समय के भीतर समय पूर्व रिहाई पर विचार करने के लिए सरकार को मामला भेजा जा सकता है, भले ही अपील लंबित हो या नहीं।


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