झारखंड उच्च न्यायालय ने दृष्टिबाधित दुष्कर्म पीड़िता को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का दिया आदेश

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झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को दुष्कर्म के कारण गर्भवती हुई दृष्टिबाधित युवती को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने बुधवार को रांची के उपायुक्त को आदेश दिया कि वह प्रसव तक पीड़िता की पूरी देखभाल सुनिश्चित करे।

न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने पीड़िता की ओर से पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) द्वारा दायर आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए उपायुक्त को पीड़िता के स्वास्थ्य पर नजर रखने को भी कहा। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि प्रसव के बाद पीड़िता के बच्चे का न्यूनतम आयुसीमा के तहत स्कूल में दाखिला सुनिश्चित किया जाए और इसका खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।

न्यायालय ने समाज कल्याण विभाग के सचिव को आदेश दिया कि वह राज्य में ऐसे पीड़ितों के लिए पुनर्वास केन्द्र की व्यवस्था करें। पीड़िता ने गर्भपात कराने की अनुमति मांगते हुए उच्च न्यायालय में अर्जी दी थी। सरकारी राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) के मेडिकल बोर्ड ने गर्भपात का अनुरोध ठुकरा दिया था क्योंकि उसका भ्रूण 28 सप्ताह (सात महीने) का हो चुका था और गर्भपात करने पर युवती की जान को खतरा था। कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए पीड़िता की गर्भ गिराने की याचिका खारिज कर दी थी। 


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