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राजस्थान में सियासी संकट के बीच विधायकों ने रखीं तीन शर्तें, अब गेंद कांग्रेस आलाकमान के पाले में
राजस्थान में सियासी तूफान आया हुआ है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों ने कांग्रेस आलाकमान के सामने एक गंभीर समस्या खड़ी कर दी है। प्रदेश कांग्रेस के दो फाड़ हो चुके हैं। अभी तक अशोक गहलोत और सचिन पायलट के गुटों में जुबानी जंग ही देखने को मिलती थी। लेकिन नए सीएम के नाम पर यह जंग खुलकर सामने आ गई। यह जंग कुछ इस तरह से सामने आई कि राजस्थान में सियासी संकट पैदा हो गया है।
विधायकों के इस्तीफे के बाद आलाकमान के उड़े होश कल देर शाम अशोक गहलोत के समर्थन में खड़े 92 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद आलाकमान के होश उड़ गए। जिसके बाद से डैमेज कंट्रोल की कोशिशें शुरू की गईं। बताया जा रहा है कि इस बवाल के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाथ खड़े कर दिए और कहा कि उनके बस में कुछ नहीं है। उन्होंने कहा है कि यह विधायकों का निजी फैसला है और इसमें उनका कोई हाथ नहीं। इसके बाद वेणुगोपाल ने खड़गे से भी बात की है। जिसके बाद दिल्ली आलाकमान से निर्देश आया कि सभी विधायकों से बात करके मसले को सुलझाया जाए।
अब गेंद आलाकमान के पाले में जिसके बाद बैठकों का दौरा चला, जिसमें अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों ने राजस्थान के नए सीएम को लेकर अब गेंद आलाकमान के पाले में फेंक दी है। खड़गे और माकन के सामने अशोक गहलोत के गुट ने 3 बिंदुओं का प्रस्ताव रखा है। गहलोत गुट का कहना है कि नया सीएम सरकार बचाने वाले 102 विधायकों में से ही होना चाहिए, यानी सचिन पायलट को सीएम न बनाया जाए। इसके साथ ही नए सीएम की घोषणा 19 अक्टूबर को अध्यक्ष के चुनाव के बाद की जाए और गहलोत के पसंद का ही मुख्यमंत्री बनाया जाए।
सोनिया गांधी पर सभी को भरोसा - महेश जोशी बताया जा रहा है कि मंत्री महेश जोशी ने कहा है कि पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पर सभी विधायकों को भरोसा है। सभी विधायकों ने अपनी बात रखी है और उन सबको उम्मीद है कि आलाकमान कोई भी निर्णय लेते वक़्त उनकी बातों का ख्याल रखेगा। उन्होंने कहा कि, " हम चाहते हैं कि पार्टी उन लोगों का ख्याल रखे जो कांग्रेस के लिए वफादार रहे हैं।"
नाराज विधायकों ने रखीं हैं तीन शर्तें सूत्रों के हवाले से आ रही ख़बरों के अनुसार, नाराज और इस्तीफा दे चुके विधायकों के गुट ने आलाकमान के सामने अपनी तीन शर्ते रखी हैं। जिसमें कहा गया है कि अशोक गहलोत अध्यक्ष चुनाव के बाद CM पद से इस्तीफा देंगे। वहीं जो भी मुख्यमंत्री बनेगा वो उन 102 विधायकों में से हो जिन्होंने 2020 में सचिन पायलट की बगावत के दौरान सरकार गिरने से बचाने का काम किया था। और तीसरी शर्त यह है कि अगला मुख्यमंत्री आशोक गहलोत की राय पर ही बनाया जाए। विधायकों ने साफ़ कर दिया है कि जब तक उनकी बातें नहीं मानी जाएंगी, तब तक कोई विधायक बैठक में शामिल नहीं होगा।
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