एक हो सबका मंदिर, पानी और श्मशान, घोड़ी चढ़ने पर विवाद गलत; जातिवाद के खिलाफ खूब बोले मोहन भागवत

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आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने दशहरे पर अपने भाषण में समाज में एकता की अपील की है। खासतौर पर दलितों के खिलाफ अत्याचार का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि कौन घोड़ी चढ़ सकता है और कौन नहीं, इस तरह की बातें अब समाज से विदा हो जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में सभी के लिए मंदिर, पानी और श्मशान एक होने चाहिए। उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों से इसके लिए प्रयास करने की अपील की। मोहन भागवत ने कहा कि ऐसे प्रयास संघ के स्वयंसेवक करेंगे तो समाज में विषमता को दूर किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि जाति के आधार पर विभेद करना अधर्म है। उन्होंने कहा कि यह धर्म के मूल से परे है। विजयदशमी पर नागपुर में संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि हमें हर जिम्मेदारी सरकार पर ही डालने की बजाय खुद भी समाज के तौर पर जागरूक होना होगा। उन्होंने कहा कि हम भाषा, संस्कृति और संस्कार को बचाने की बात करते हैं, लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि उसके लिए अपनी ओर से क्या करते हैं। मोहन भागवत ने कहा कि क्या हमने अपने घर की नेम प्लेट अपनी मातृभाषा में लिखी है। क्या हम निमंत्रण पत्र मातृभाषा में छपवाते हैं? हम बात करते हैं कि बच्चों को संस्कार मिलें, लेकिन हम उन्हें पढ़ने इस लिहाज से भेजते हैं कि कुछ भी करो और ज्यादा कमाने की डिग्री लो। ऐसा सोचेंगे तो परिणाम भी वैसा ही होगा।


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