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रायपुर में खुशनुमा मौसम के बीच संगीत की महफिल सजी... जिससे गीतकारों ने बहुत संजीदगी से प्रस्तुति दी
खुशनुमा मौसम और संगीत की महफिल अर्थात सोने पर सुहागा। ऐसा ही एक सुखद पल लिए शहर में सुरीला कार्यक्रम आयोजित हुआ। संस्था संगीत सरिता कराओके ग्रुप मायाराम सुरजन रजबंधा मैदान में यह कार्यक्रम हुआ। संगीत के सुधी श्रोताओं से भरे सभागार में अप्रतीम संगीत रचनाओं के सर्जक गीतों को स्वरांजलि स्वरुप प्रस्तुत किया गया ।
कार्यक्रम मिलंद जी, नवीन जी ,अहमद जी,शैलेश जी, अनील जी और रीना पनीका की आवाज को श्रोताओं ने खूब सराहा।
।्गीतकार अनील ने अपने अंदाज में गाया..
हमें और जीने की चाहत न होती
अगर तुम न होते, अगर तुम न होते
वहीं मिलिंद जी ने गाया...
वादियां मेरा दामन, रास्ते मेरी बाहें
जाओ मेरे सिवा, तुम कहाँ जाओगे...
नवीन और रीना ने पुरानी फिल्म के नगमे सुना..
नूरी, नूरी
आजा रे.. ओ ओ..
दिलबर जानिया
आजा रे, आजा रे ओ मेरे दिलबर आजा
दिल की प्यास बुझा जारे।
आजा रे, आजा रे ओ मेरे दिलबर आजा
दिल की प्यास बुझा जारे
इधर अहमद जी अपनी बुलंद आवाज में गाया....
न जा, कहीं अब न जा
दिल के सिवा
है यही दिल, कूचा तेरा
ऐ मेरे हमदम, मेरे दोस्त
।्न जा कहीं...
वहीं शैलेश और रीना पनीका ने गाया...
प्रियतमा ओ मेरी प्रियतमा।
मैंने प्रेम किया जब से....
।्तेरी पलकों में है।
अब मेरे तो दोनों जहाँ
सजना ओ मेरे सजनास
जना ओ मेरे सजना।
।्मैंने प्रेम किया जब से.....
जैसे गीत को बहुत संजीदगी से पेश किया। सपना के इस नगमों से सजी इस महफिल में एक ओर जहां रीना, ने पूरा न्याय किया तो वहीं दूसरी और बेहद दिलकश अंदाज में एंकर ने कार्यक्रम का संचालन किया। स्वर शब्द व भावनाओं में डूबता कारवां को
।्आओ हुज़ूर तुमको ... सितारों में ले चलूँ ... दिल झूम जाए ऐसी, बहारों में ले चलूं।
गीत से अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचाया।
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