दिल्ली का तख्त बनाम मराठा योद्धा, 'पीड़ित' उद्धव ठाकरे को लेकर बड़ी योजना

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शिवसेना में विद्रोह के चलते उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा और अब पार्टी के नाम और निशान के लिए कानूनी लड़ाई जारी है। उपचुनाव के लिए शिवसेना का नाम और निशान दोनों ही चुनाव आयोग ने फ्रीज कर दिया। हालांकि सूत्रों का कहना है कि उद्धव ठाकरे का गुट छोटी नहीं बल्कि लंबी लड़ाई की तैयारी कर रहा है।

प्लान यह है कि उद्धव ठाकरे को भाजपा की कथित तानाशाही का शिकार दिखाया जाए और उन्हें राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में मुख्य विपक्षी नेता के रूप में प्रोजेक्ट किया जाए जिससे 2024 के चुनाव में भी उनके गुट को फायदा मिले।

शिवसेना के ही एक राजनेता ने कहा, वह शरद पवार, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार और अखिलेश यादव वाले ग्रुप में रहेंगे। जिस तरह से मुगल काल में दिल्ली पर शासन करने वालों से मराठा नायकों ने लोहा लिया था उसी तरह उद्धव जी को भी महाराष्ट्र में दिल्ली की तानाशाही के खिलाफ खड़े रहने के लिए संवेदना मिलेगी।

बता दें कि चुनाव आयोग ने अंतरिम आदेश जारी करके शिवसेना का नाम और निशान फ्रीज किया है लेकिन कहा जा रहा है कि उद्धव गुट अपने निशान पर दावा ठोक सकता है। शिवसेना नेता ने कहा, चुनाव आयोग ने जो कुछ किया है उसका अंदेशा पहले से था। जानकारों का कहना है कि अगर शिवसेना अपना अस्तित्व बचाना चाहती है तो उसे कानूनी लड़ाई के अलावा पार्टी के संगठन को मजबूत करना होगा।

वहीं ठाकरे को 'शहीद' के रूप में पेश करके शिवसेना को उम्मीद है कि वे मराठा वोटबैंक को साध सकते हैं। उद्धव ठाकरे ने भी मातोश्री में पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए सीधा पीएम मोदी पर निशाना साधा था और उन्हें खोटा सिक्का बता दिया था।

ठाकरे ने कहा था कि बालासाहेब के विचारों का अनुसरण करते हुए शिवसेना आगे बढ़ेगी। यह हमारी आखिरी लड़ाई है, अगर हम जीत जाते हैं तो दुनिया की कोई भी ताकत नुकसान नहीं पहुंचा पाएगी।

3 नवंबर को होने वाला उपचुनाव शिंदे और ठाकरे गुट के लिए लिटमस टेस्ट साबित होने वाला है। शिवसेना को उम्मीद है कि वह अंधेरी ईस्ट सीट पर कब्जा कर लेगी। यह सीट शिवसेना विधायक रिमेश लातके के निधन के बात खाली हुई थी।

शिवसेना ने उनकी पत्नी रितुजा को यहां से टिकट दिया है। वहीं शिंदे गुट और भाजपा मुरजी पटेल को उतारने की योजना बना रहे हैं जो कि 2019 में चुनाव हार गए थे।


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