हिमाचल प्रदेश में बड़े चेहरे को तरसी कांग्रेस, AAP के हौसले बुलंद, दांव पर BJP की साख

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हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। इसके साथ प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के साथ ही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुट गई हैं। भाजपा के सामने जहां सत्ता बरकरार रखने की चुनौती है, वहीं कांग्रेस सत्ता परिवर्तन के लिए जोर लगा रही है। जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का गृहराज्य होने से पार्टी के लिए यह प्रतिष्ठा का चुनाव है। वहीं, वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। पंजाब में जीत के बाद आम आदमी पार्टी के हौसले बुलंद हैं। वह पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतर रही है। ऐसे में चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो सकता है।

बदलती रही है सरकार

हिमाचल में 1992 के बाद हर चुनाव में सरकार बदलती रही है। बदलाव के इस सिलसिले से कांग्रेस के हौसले बुलंद है। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे, पर वह सुजानपुर सीट पर कांग्रेस से सीधे मुकाबले में करीब दो हजार वोट से हार गए थे और जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने।।।। कांग्रेस का प्रदर्शन।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में 2021 के स्थानीय निकाय के चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन किया था पर पार्टी मुख्यमंत्री के गृह जिले मंडी, शिमला और सोलन में कांग्रेस से पिछड़ गई थी। इसके बाद फतेहपुर, अर्की और जुबल-कोटखाई विधानसभा और मंडी लोकसभा सीट पर हुई चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को तगड़ा झटका दिया। भाजपा सभी चुनाव हार गई।

बड़े चेहरे की चुनौती

 पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने शुक्रवार को सोलन में परिवर्तन प्रतिज्ञा रैली कर चुनाव प्रचार की औपचारिक शुरुआत कर दी है। दरअसल, पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त है। ऐसे में पिछले चुनावों के मुकाबले वह कम प्रचार करेंगे। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद पार्टी के पास कोई कद्दावर नेता नहीं है। पार्टी ने वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपकर इस कमी को दूर करने की कोशिश की है, पर पार्टी नेताओं में मतभेद हैं।

सीधा मुकाबला हिमाचल में अभी तक मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होता रहा है। इस बार आप भी ताल ठोक रही है। आप की नजर पार्टी बदलने वाले कांग्रेस और भाजपा नेताओ पर हैं। ऐसे में कुछ सीट पर आप पार्टी मजबूत उम्मीदवार देकर भाजपा और कांग्रेस दोनों की मुश्किलें बढ़ा सकती है।


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