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शराबबंदी कानून से बिहार के लोगों की जान ख़तरे में- पटना हाई कोर्ट
बिहार में शराबबंदी कानून पर पटना हाई कोर्ट ने सख़्त टिप्पणी की है.
हाई कोर्ट ने कहा बिहार सरकार शराबबंदी कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने में विफल रही है जिससे बिहार के लोगों का जीवन ख़तरे में आ गया है.
्ये टिप्पणी जस्टिस पूर्णेंदु सिंह ने की है. उन्होंने ज़हरीली शराब से मौतों में वृद्धि, नशीली दवाओं की लत और ज़ब्त की गई शराब की बोतलों को गलत तरीके से नष्ट करने में पर्यावरण को होने वाले ख़तरे का ज़िक्र किया.
साल 2016 में नीतीश कुमार ने राज्य में शराब की बिक्री और पीने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था.
कोर्ट मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले के रहने वाले नीरज सिंह की ज़मानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. वे पिछले साल नवंबर से शराबबंदी से जुड़े एक मामले में जेल में बंद हैं.
12 तारीख को जारी आदेश में कोर्ट ने कहा, "बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने में राज्य मशीनरी की विफलता से राज्य के नागरिकों का जीवन ख़तरे में है"
कोर्ट ने शराबबंदी लागू होने के बाद हो रही बड़ी संख्या में ज़हरीली शराब की घटनाओं को चिंताजनक बताया और कहा कि जहरीली शराब पीने से बीमार हुए लोगों को राज्य सरकार ढंग से इलाज मुहैया नहीं करवा पाई है.
कोर्ट ने पाया कि अवैध शराब में मिथाइल मिला हुआ था. इसका पांच मिलीलीटर भी किसी को अंधा बनाने के लिए काफ़ी है.
कोर्ट ने कहा कि ऐसे मरीज़ों के इलाज के लिए अलग से स्वास्थ्य केंद्र होने चाहिए, जहां विशेष रूप से प्रशिक्षित लोग काम करें.
इसके अलावा कोर्ट ने बिहार सरकार को अवैध ड्रग्स के मामले में भी फटकार लगाई और कहा कि सरकार इसे रोकने में भी नाकाम साबित हुई है.
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