उत्तराखंड में ख़त्म होगी ब्रिटिश काल से चली आ रही पटवारी-पुलिस व्यवस्था

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उत्तराखंड में अंकिता भंडारी केस से चर्चा में आए 150 साल पुराने पुलिस पटवारी व्यवस्था को जल्द ही ख़त्म कर दिया जाएगा. उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी दी है.

राज्य सरकार की ओर से शीर्ष न्यायालय को बताया गया है कि अब हत्या, रेप जैसे जघन्य अपराधों की जांच नियमित पुलिस ही करेगी और सब केसों की फ़ाइल तुरंत ज़िला मैजिस्ट्रेट पुलिस को सौंप देंगे. 

अंकिता भंडारी हत्या के बाद सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दायर कर के उत्तराखंड में पुलिस पटवारी व्यवस्था को ख़त्म किए जाने की मांग की थी. इसी अर्ज़ी पर उत्तराखंड के डिप्टी एडवोकेट जनरल (डीएजी) जतिंदर कुमार सेठी ने शीर्ष न्यायालय में जवाब दायर किया है.।।। सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड के पत्रकार अनु पंत ने याचिका दायर की थी. राज्य के कई हिस्सों में अभी भी पटवारी-पुलिस व्यवस्था मौजूद है.।।। अपने हलफ़नामे में उत्तराखंड सरकार ने कहा है कि ये व्यवस्था चरणबद्ध तरीके से ख़त्म की जाएगी और पहले चरण में महिलाओं के साथ होने वाले सभी जघन्य अपराध, अपहरण, सायबर-अपराध, पोक्सो आदि से जुड़े मामले नियमित पुलिस को तुरंत सौंपे जाएंगे.

पहले तीन महीने में ज़िलाधिकारी ऐसे इलाकों की पहचान करेंगे जहां नई व्यवस्था सबसे पहले लागू करनी है. इसके अगले तीन महीनों में इन इलाकों के जघन्य अपराध से जुड़े मामलों की फ़ाइलें पुलिस को सौंपना शुरू किया जाएगा.


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