बात महिला क्रिकेटर्स के बराबरी की
लेखक - संजय दुबे
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड दुनियां के धनाढ्य बोर्ड के नाम से जाना जाता है।देश के भीतर दूसरे खेल संगठन इसके आसपास भी नही आते है। इस बोर्ड के पास जमा राशि 14760करोड़ रुपये है। इस बोर्ड के द्वारा देश और राज्यो के क्रिकेट खेल रहे और खेल चुके खिलाड़ियों को फीस दिए जाने का प्रावधान है। कल बोर्ड ने महिला क्रिकेट खिलाड़ियों को क्रिकेट के तीनों प्रारूप( टेस्ट, एकदिवसीय और टी20) में पुरुषों के बराबर ही फीस देने की घोषणा करते हुए पुरुष और महिला खिलाड़ियों के बराबरी की बड़ी बात की घोषणा की है।
भारतीय संविधान के मूल अधिकारों में लिंग के आधार पर पुरुष और महिलाओं में भेद न करने की व्यवस्था है लेकिन अनेक क्षेत्र ऐसे है जिनमे भेदभाव अधिकृत रूप से किया जा रहा है जिसमे बीसीसीआई भी एक बोर्ड है जिसके द्वारा पुरुष और महिला खिलाड़ियों के अनुबंध की राशि सहित खेले जाने वाले मैच के लिए दिए जाने वाली धन राशि मे भेद किया जा रहा था। अभी भी केवल खेले जाने वाले मैच की फीस बराबर की गई है।अनुबंध राशि मे भेदभाव बदस्तूर जारी है।
बीसीसीआई ने सुनियोजित ढंग से तीनों प्रारूप के लिए बराबरी की बात को समानता की दिशा में पहला कदम बताया है याने दूसरा कदम उठाने के लिए फिलहाल कोई योजना नही है। अभी तीन प्रारूप में बराबर फीस देने की घोषणा हुई है। कम से कम ये बराबरी की तारीफ बनती है। इसमे गौर करने वाली बात टेस्ट में पुरुष महिला को 15 लाख देने की घोषणा हुई है प्रश्न ये उठता है कि महिला टेस्ट होते कितने है।अगले 3 साल में महिला क्रिकेटर्स को कुल जमा 6 टेस्ट खेलना है जबकि इससे डेढ़ गुना टेस्ट पुरुष एक साल में खेलेंगे। एकदिवसीय और टी 20 के मैच संख्या में भी बहुत अंतर होता है ऐसे में बोर्ड को महिला खिलाड़ियों के अनुबंध की राशि को बढ़ाने पर पहले विचार करना चाहिए था।
पुरुष टीम के कप्तानरोहित शर्मा A+ श्रेणी के खिलाड़ी के रूप में अनुबंधित है जबकि महिलाओं के लिए ये श्रेणी ही नहीं है। पुरुषों के इस वर्ग को सालाना 7 करोड़ मिलते है। अब महिला टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर की राशि देखे तो केवल 50 लाख रुपये सालाना है। यानी 13 गुना कम! यहां तो समानता की बात दूर असमानता का चर्मोत्कर्ष है। A श्रेणी के पुरुष खिलाड़ी 5 करोड़, B श्रेणी के 3 करोड़ और C श्रेणी के खिलाड़ियों को 1 करोड़ राशि दी जाती है जबकि महिला खिलाड़ियों को 50,30 और 10 लाख रुपए सालाना दिया जाता है। पुरुषो के C श्रेणी को दिए जाने वाले 1 करोड़ की तुलना में महिला के A श्रेणी के खिलाडी का अनुबंध राशि आधी याने 50 लाख रुपये केवल।
खेल जगत में राजनीतिज्ञों की भरमार रहती है ये लोग समानता की बात भर करते है लेकिन दिया तले अंधेरा है। बेहतर ये होता कि फीस के साथ अनुबंध की राशि बढ़ा देते तो समानता की दिशा में बेहतर कदम होता लेकिन थोड़ा जागे वो भी ठीक ठाक मान लेना चाहिए।
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