कोंकण की संस्कृति की झलक दिखी कुनबी नृत्य में, सादे वस्त्रों में सुरुचिपूर्ण नृत्य

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*गोआ का है कुनबी नृत्य, स्थानीय लोकपरंपरा की मिलती है झलक

रायपुर। पांच शताब्दियों से अधिक पुर्तगाली प्रभाव के बावजूद गोआ के लोगों ने अपनी परंपरा सहेज कर रखी है और इसे खूबसूरत तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में आज कोंकण क्षेत्र में प्रचलित कुनबी नृत्य का प्रदर्शन किया गया। इस कुनबी नृत्य में महिलाओं ने कृषि संस्कृति से जुड़ी दिनचर्या प्रदर्शित की। इस नृत्य की विशेषता इसकी द्रुत गति है। यह नृत्य कुछ ऐसा है जिसमें कलाकार अपनी दिनचर्या के कामों को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत कर रहे हैं। इसमें वे खासी रुचि लेते हुए अपने काम में आनंद ले रहे हैं। इसके साथ ही इन कलाकारों की साजसज्जा भी खास दिख रही है। कोंकण क्षेत्र में प्रचलित वेणी और श्रृंगार को उन्होंने प्रदर्शित किया है। कोंकण क्षेत्र में प्रचलित वाद्ययंत्रों के साथ इन नृत्यों की सुंदर प्रस्तुति दी गई। वाद्ययंत्रों की धुनों में कलाकारों ने सुंदर प्रस्तुति दी। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के माध्यम से छत्तीसगढ़ में देश के विविध प्रांतों के लोकनृत्यों का सुंदर वैविध्य एक ही स्थान पर नजर आ रहा है और लोग इसे काफी रुचि से देख रहे हैं।


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