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छत्तीसगढ़ में अल्लामा इकबाल की यौम ए पैदाईश पर मनाया उर्दू डे
बज्म ए जिगर नजीबाबाद की ओर से मशहूर शायर अल्लामा इकबाल की यौम ए पैदाईश के मौके पर उर्दू डे मनाया गया।
छत्तीसगढ़ उर्दू अकादमी कार्यालय सभागृह में 09 नवम्बर 2022 को विश्व उर्दू दिवस (आलमी यौम-ए-उर्दू) मशहूर शायर अल्लामा मुहम्मद इकबाल के यौमे विलादत को उर्दू दिवस के रूप में मनाया गया कार्यक्रम की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ उर्दू अकादमी के अध्यक्ष इदरीस गांधी ने की। कार्यक्रम में शोरा हज़रात ने अपने कलाम व ख़िताब पेश किये इस मौके पर छत्तीसगढ़ उर्दू अकादमी द्वारा छत्तीसगढ़ के मशहूर शायर एडवोकेट फज़ले अब्बास सैफी, रायपुर का उर्दू के क्षेत्र में योगदान हेतु सम्मान किया गया जिसमें रायपुर से जनाब काविश हैदरी, दिनेश राठौर दानिश, सुखनवर हुसैन सुखनवर, सरफराज़ अली मुंतजर, मोहम्मद इरफानुद्दीन, फजले अब्बस सैफी, मोहसिन अली सुहैल, दुर्ग से हाजी डॉ. इसराईल शाद, आलोक नारंग व उर्दू से मुहब्बत रखने वाले सामईन (श्रोता ) उपस्थित थे। इस मौके पर उर्दू अकादमी के सचिव एम. आर. खान ने उर्दू अकादमी की गतिविधिया (सरगर्मिया) व फरोगे उर्दू के लिये किये गये उल्लेखनीय कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया एवं भविष्य के कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला। इस मौके पर अध्यक्ष जनाब इदरीस गांधी अपने वक्तव्य में कहा कि छत्तीसगढ़ सुबे में उर्दू के फरोग के लिये तीन काम पहला उर्दू को ज़्यादा से ज़्यादा लोग पढ़े और लिखे दुसरा उर्दू की समझ ज़्यादा लोगों तक पहुचें और तीसरा उर्दू के लेखकों और शायरों को सही मकाम हासिल हो सकें इस सिम्त काम करना होगा। मैं तमाम लोगों से गुज़ारिश करता हूं कि अगर आपको वाकई उर्दू से मुहब्बत है तो आप अपने बच्चों को ज़रूर उर्दू पढ़ाएँ क्योंकि उर्दू सिर्फ ज़बान ही नहीं बल्कि तहजीब और अदब भी है।
उर्दू है जिसका नाम हमीं जानते है 'दाग'
हिन्दूस्तां में धुम हमारी जुबा की है। उर्दू के मशहूर शायर अल्लामा 'इकबाल' के जन्म दिवस 9 नवम्बर को हर साल यौमे उर्दू अथवा उर्दू दिवस के रूप में मनाया जाता है।
"सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुले है इसकी ये गुलसिता हमारा"
लिखने वाले अल्लामा इक़बाल साहब का जन्म 09 नवम्बर 1877 को सयुंक्त भारत के सियालकोट में हुआ था, बचपन से उनका झुकाव शायरी की तरफ था। इकबाल की शायरी राष्ट्रीयता की भावना है वह उनको समकालीन शायरों में श्रेष्ठ बना देती है, फलसका-ए-खुदी (आत्म-दर्शन) पर जोर देने वाले शायर थे इकबाल, यही इकबाल की लोक प्रियता का राज है। 'इक़बाल का नाम लेते ही उनका कौमी तराना गुंजने लगता है 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां ...... जो की राष्ट्रीयता की भावना को जगाता है। इसके अलावा उनकी बहुत सी मशहूर रचनाए हैं जिसमें से एक
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