गौतम नवलखा महीने भर तक घर में रहेंगे नज़रबंद

feature-top

सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने अंतरिम आदेश में सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की उस याचिका को स्वीकार कर लिया है जिसमें उन्होंने खराब सेहत और उम्र का हवाला देते हुए एक महीने के लिए हाउस अरेस्ट की मांग की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने में खर्च हुए दो लाख चालीस हज़ार रुपये भी जमा करने को कहा है.

जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने ये आदेश पारित किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि कथित भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार नवलखा को तलोजा जेल से एक महीने के लिए ट्रांसफर कर दिया जाएगा और उन्हें हाउस अरेस्ट में रखा जाएगा.

सर्वोच्च न्यायालय ने जांच एजेंसी, एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को अगले 48 घंटे में उस जगह का जायज़ा लेने को भी कहा गया है जहां गौतम नवलखा को रखा जाएगा.

आदेश में कहा गया है कि एक महीने के हाउस अरेस्ट के दौरान गौतम नवलखा किसी भी मोबाइल फोन, इंटरनेट, लैपटॉप या अन्य कम्युनिकेशन डिवाइस का इस्तेमाल नहीं करेंगे.

हालांकि उन्हें उस मोबाइल फोन को एक दिन में दस मिनट के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है जो पुलिस ने उन्हें दिया है. इस फोन का इस्तेमाल वे पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में ही कर पाएंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सिर्फ़ उनकी बहन और बेटी ही हफ़्ते में एक बार तीन घंटे के लिए उनसे मिल सकती हैं.

नवलखा ने घर में नजरबंद रखने के निर्देश की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. उन्होंने दलील दी थी कि उनकी स्वास्थ्य की स्थिति बिगड़ रही है और उनकी उम्र 65 है.


feature-top