गुजरात: नए चेहरों की बदौलत बीजेपी की 'आप' और कांग्रेस को मात देने की रणनीति

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गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने 160 उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है, जानकार उसका अलग-अलग ढंग से विश्लेषण कर रहे हैं.

अधिकतर जानकारों का मानना है कि चाहे आम चुनाव हों या फिर विधानसभा चुनाव, ऐसी चुनावी रणनीति बीजेपी के लिए कोई नई बात नहीं है. वहीं कई अन्य इसे नई रणनीति के रूप में देख रहे हैं.।।। गुजरात में बीजेपी ने अपने कई प्रमुख चेहरों को अलग कर दिया है जिसकी वजह से राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट ज़रूर पैदा हो गई है.

इनमें पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, पूर्व शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चुडासमा, पूर्व उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल और गुजरात के पूर्व गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा के नाम शामिल हैं.

इस सूची से साफ़ दिख रहा है कि जो फेरबदल किए गए हैं, वो आम आदमी पार्टी के चुनावी मैदान में उतरने की वजह से किए गए हैं. आम आदमी पार्टी नए चेहरों के साथ मैदान में आई है तो बीजेपी उनका मुक़ाबला नए चेहरों के साथ करना चाहती है. पंजाब में आम आदमी पार्टी को नए चेहरे उतारने का बहुत लाभ मिला और उसने वहाँ कांग्रेस और अकाली दल का एक तरह से सफ़ाया ही कर दिया. पंजाब के चुनावी परिणाम से बीजेपी को भी सीख मिली है." हालांकि मनीषी जानी साथ में ये भी कहते हैं कि "बीजेपी चरणबद्ध तरीक़े से जनसंघ के समय के चेहरों को अलग-थलग करना चाहती है. इसलिए वो नए चेहरों को ला रही है ताकि उन पर नियंत्रण रखा जा सके." विश्लेषकों का मानना है कि अपने 27 सालों के शासनकाल को देखते हुए बीजेपी कुछ नया करना चाहती है ताकि मतदाताओं को नए तरीक़े से लुभा सके. राजनीतिक विश्लेषक प्रशांत दयाल कहते हैं कि 'इससे पार्टी को अगर कोई सत्ता विरोधी लहर है तो उससे निपटने में कामयाबी हासिल होगी, साथ ही युवाओं को आगे लाने से संगठन में नया जोश पैदा होगा.'


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