नये उत्साह एवं नई ऊर्जा से लबरेज उद्यमियों के हौसलों को मिले पंख

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एक नये उत्साह एवं नई ऊर्जा से लबरेज उद्यमियों के हौसलों को पंख मिले हैं, रूरल इंडस्ट्रियल पार्क से। शासन की रीपा योजना ग्रामीण क्षेत्रों में समूह की महिलाओं एवं उद्यमियों के चेहरों पर विकास की उजास ला रही है। लघु उद्यम को बढ़ावा देने की यह सार्थक पहल प्रभावी साबित हो रही है। डोंगरगढ़ विकासखंड के ग्राम कलकसा के रीपा गौठान में बेहतरीन अधोसंरचना का निर्माण किया गया है। हर्बल सॉफ्ट ड्रिंक यूनिट, कारपेंटर यूनिट, फ्रूट आईसक्रीम यूनिट, नमकीन उद्योग, गोबर पेंट निर्माण, अगरबत्ती निर्माण, सिलाई यूनिट के लिए वर्कशेड बनाए गए हैं।

 

यहां जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में रीपा के कार्य ने तेज गति से आकार लिया है। सखी समूह की महिलाओं ने जूस और आईसक्रीम निर्माण का कार्य प्रारंभ किया है। बेल, अमारी और आम के खास जायकेदार शरबत के साथ ही दूध-मलाई की आईसक्रीम और तेन्दू के आईसक्रीम की स्थानीय स्तर पर डिमांड है। तेन्दू का आईसक्रीम नवाचार करते हुए बनाया गया है, जिसका स्वाद खास है। श्रीमती उषा नेताम ने बताया कि गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए यह कार्य प्रारंभ किये हैं। जिससे जब तक लगभग 17 हजार की आमदनी हुई है। खट्टे अमारी भाजी का शरबत बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। यह भाजी ग्रामीण क्षेत्रों में सहज उपलब्ध है। स्थानीय स्तर पर उपलब्ध भाजी एवं तेन्दू तथा अन्य सामग्री से प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं। समूह की महिलाएं हिसाब-किताब करने के साथ ही बचत करना सीख रही हैं। श्रीमती गीता बाई मंडावी ने बताया कि कुल्फी, आईस्क्रीम बनाने के लिए अच्छा प्रशिक्षण दिया गया है।

 

समूह की महिलाओं द्वारा मिक्चर-नमकीन निर्माण के लिए मशीन का सेटअप लग गया है। जय मां दुर्गा स्वसहायता समूह की 10 महिलाएं मिलकर नमकीन निर्माण का कार्य कर रही है। जिसमें ड्रायर मशीन, मिक्चर निकालने तथा तेल छानने की मशीन 6 लाख 32 हजार रूपए की लागत से लगाई गई है। वहीं दाल पीसने की मशीन भी लगी है। श्रीमती संतोषी उईके ने बताया कि सभी महिलाएं यहां संगठित होकर कार्य कर रही हैं। श्रीमती महेश्वरी ने कहा कि घर के पास ही रोजगार का अवसर मिल गया है। अब धूप में नहीं जाना पड़ता। वर्क शेड में छांव में बैठकर सभी मिलकर कार्य कर रहे हैं। आमीन माता स्वसहायता समूह की गुनी बाई ने बताया कि गोधन न्याय योजना के तहत यहां गौठान में 2359.38 क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। जिससे किसानों एवं पशुपालकों को 4 लाख 71 हजार रूपए का फायदा हुआ है। उन्होंने बताया कि वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री से उन्हें 2 लाख 60 हजार रूपए की आमदनी हुई है।


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