क्या "झकास" शब्द का पेटेंट अनिल कपूर ने कराया है..!

लेखक- संजय दुबे

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न्यायालयो के निर्णयों का हमेशा सम्मान होना चाहिए।अगर निर्णय के प्रति आक्षेप हो तो अपील किये जाने का प्रावधान सुरक्षित रहता है। कुछ मुद्दे ऐसे होते है जिनका सरोकार न्यायालय के निर्णय तक सीमित न होकर सार्वजनिक हो जाता है ऐसा ही एक विषय है:- व्यावसायिक जगत में प्रचार,इसका अपना बाजार है औऱ बहुत ही बड़ा बाजार हैं अरबो का बाजार है, गलाकाट स्पर्धा में हर व्यक्ति/ फर्म अपने उत्पाद को बेहतर बताने के लिए भले बुरे तरीके अपना रहे है। इसी तरीके में एक तरीका है नामवर फ़िल्म कलाकारों का उपयोग/ दुरुपयोग। हाल ही में अनिल कुमार ने न्यायालय का शरण लिया और बताया कि उनके नाम, फ़ोटो सहित उनके संवाद अभिव्यक्ति की उनके विधिक अनुमति के बगैर दुरुपयोग किया जा रहा है।दिल्ली हाइकोर्ट से आदेश भी आ गया है कि अनिल कपूर के नाम, फ़ोटो, उनके फिल्मों में बोले गए संवाद पर उनकी अनुमति के बगैर विज्ञापन जगत में उपयोग नही किया जा सकता है। अनिल कपूर के कुछ फिल्मी नाम जैसे मि . इंडिया, लखन,मजनूं, नायक सहित "झकास" जैसे शब्द को अनिल कपूर के" पर्सनालिटी राइट्स" माना गया है। न्यायालय ने किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व से जुड़े अधिकार पर सीमा पार खलल पर रोक लगाने को उचित समझा है।

ये निर्णय उच्च न्यायालय दिल्ली का है इसलिए विधिक अपील की गुंजाइश तो है। संभवतः किसी ख्याति प्राप्त व्यक्ति के चित्र का व्यावसायिक उपयोग उसके विधिक सहमति के बगैर नहीं किया जा सकता है लेकिन किसी व्यक्ति के संवाद बोलने का ढंग,उसके फिल्मी संवाद, उसके फिल्मी नाम पर तो उस व्यक्ति का अधिकार नही है और न ही किसी व्यक्ति को रोका जा सकता है कि वह नाम या संवाद नही बोल सकत क्योकि फिल्मों में संवाद, पटकथा लेखक लिखते है। उन संवादों को सुनने के लिए निर्माता बाकायदा थियेटर में दर्शकों से पैसे वसूलने के लिए प्रदर्शन का अधिकार बेच देते है। बेची गयी वस्तु चाहे वह फिल्म क्यो न हो खरीदे जाने के बाद उस पर सार्वजनिक अधिकार हो जाता है। क्या श्रेया घोषाल , अर्जित सिंह अपने गाये गाने के किसी औऱ के गाये जाने पर रोक लगा सकते है? नही इसी प्रकार "झकास" शब्द किसी भी व्यक्ति का एकाधिकार नही है। अनिल कपूर से पहले लोग बोलचाल की भाषा मे झकास कहते सुने गए है।

अनिल कपूर के फिल्मी नाम जैसे लखन, ये उनका पेटेंट नहीं है। लखन शब्द लक्ष्मण के लिए अपभ्रंश के रूप में उपयोग होता है। मजनूं, आदिकाल में लैला के ऐतिहासिक प्रेमी का नाम है। नायक,उनकी फिल्म हो सकती है लेकिन हर फिल्म में अलग अलग लोग नायक होते है। मि इंडिया( आजकल का विवादास्पद शब्द) न जाने कितने शहरों में सबसे हैंडसम व्यक्ति के लिए होने वाली स्पर्धा का नाम है। ये शब्द अनिल कपूर के पर्सनालिटी राइट्स नही हो सकते है। अनिल कपूर नाम भी उनका पेटेंट नहीं है। न जाने कितने अनिल कपूर देश मे होंगे। पंजाब, दिल्ली के मतदाता सूची मे आसानी से नाम देखे जा सकते है।

 फ़िल्म जगत के अनेक ऐसे कार्यक्रम है जिनमे इन कलाकारों की मिमिक्री किया जाता है और ऐसा करने वाले कलाकार को बाकायदा धनराशि मिलती है। क्या अनिल कपूर ने बीते 30 सालों में ऐसे कलाकारों के खिलाफ न्यायालय गए?

 अनिल कपूर को केवल उनकी फ़ोटो का उपयोग उनकी सहमति के बगैर प्रचार करने के लिए नही किया जा सकता है लेकिन नाम, संवाद, औऱ मिमिक्री पर रोक नही लग सकती है।


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