दिल तो है दिल, दिल का एतबार कीजे..
लेखक : संजय दुबे
हिंदी साहित्य में मनुष्य के शरीर के अंगों के नामो में ह्रदय, विशुद्ध शब्द है।आम भाषा मे इसे "दिल" कहा जाता है। इस दिल के जतन के लिए हर साल के 29 सितम्बर को "विश्व ह्रदय दिवस" मनाया जाता है। जागरूकता वजह है। मनुष्य का दिल धड़कते रहे।उसका रक्त संचार सामान्य हो। दिल की गति 120/ 80 बनी रहे। इसके अलावा स्वस्थ दिल के लिए जो जो मापदंड है वे खरे रहे।इस कारण आज "ह्रदय" लिखना भी कठिन है सो " अंतरराष्ट्रीय दिल दिवस" है। ऐसा माना जाता है कि नशीली वस्तुओं के सेवन करने और अनुचित रुप से अनावश्यक चिंता करने से दिल पर असर पड़ता है। सलाना लगभग 16 लाख से अधिक व्यक्ति दिल के रुकने से इस दुनियां से चले जाते है। ये संख्या कम हो इसी कारण दिल का ख्याल रखने के लिए आज का दिन विशेष है। आज सभी इलेक्ट्रॉनिक औऱ प्रिंट मीडिया सहित सोशल प्लेटफार्म में दिल छाया हुआ है।
भारतीय फिल्म उद्योग में आज नही जब से सवाक फिल्में आयी है तब से लेकर 92 साल के कालावधि में दिल से ताल्लुक बना हुआ है। "दिल" गानों में विशेष है। ये बात अलग है कि दिल को जिगर मानने की गलती भी की जा रही है। heart औऱ liver में जमीन आसमान का अंतर है लेकिन गुलजार साहब भी "बीड़ी जलाइले जिगर से पिया" लिखते है।" जिगर के सामने जिगर के पास कोई रहता हैं","दिल जिगर क्या है मैं तो तेरे लिए जान भी दे दूं" जैसे गानों में समझ मे नही आता है कि दिल को जिगर माना जा कर क्यो दुर्गति क्यो की गई? खैर,गीतकार है उनके शारीरिक अंगों के ज्ञान के क्या लेना देना।वे लिख रहे है,गायक गायिका गा रहे है।हम भी दोहरा रहे है। 1931 में पहली बोलती फिल्म "आलमआरा" के साथ ही गानों में दिल का उपयोग शुरू हुआ। "दे दिल को आराम आया शाकी गुलफाम" गाने के बाद से लेकर अब तक लगभग हर गीतकार ने दिल को अपने गाने में जगह दी है। केवल इंदीवर ऐसे गीतकार रहे जिन्होंने दिल की जगह विशुद्ध हिंदी शब्द "ह्रदय" का उपयोग 1970 में फिल्म"पूरब औऱ पश्चिम" के एक गाने" कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे" में किया था।
दिल निहायत संवेदनशील प्रतीकात्मक शब्द है जो भावना के चर्मोत्कर्ष को छूता है। प्रेमी प्रेमिका द्वारा एक दूसरे को दिए जाने वाला प्रतीक चिन्ह जिससे प्यार में विश्वास बोध होता है, तब मिलता है। यही दिल जब अलगाव, घात, विछोह में होता है तो टूटता भी है। ईर्ष्या बोध के समय जलता है।
प्रेम की दुनियां में केवल प्रेमी प्रेमिका का दिल पर एकाधिकार नही है। वात्सल्य में माता पिता के उनकी संतान दिल का टुकड़ा होता है। इन भावनाओ को लेकर हज़ारों गाने बने है जिनमे दिल वस्तु विनिमय के रूप में उपयोग हो रहा है।
आजकल सनातन धर्म की बड़ी चर्चा है।इस सनातन काल मे भी हनुमान ने अपना दिल चिर कर दिखाया था कि उनके दिल मे प्रभु राम बसते है। आज के युग मे दिल सस्ता हो गया है। इसके टूटने पर रिपेयरिंग की गुजाइश बढ़ गयी है। जिस सात्विक प्रेम में दिल को दिया लिया जाता है वह इंस्टेंट हो गया है। इसके बावजूद अपने दिल का ख्याल रखना अपना काम है क्योंकि दिल हो दिल है
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