गोविंदा गोविंदा

लेखक- संजय दुबे

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 मनोरंजन के सिल्वर स्क्रीन में ये मायने नहीं रखता है कि आपकी शकल सूरत कैसी है। यहां ये मतलब रखता है कि आप मनोरंजन करने का कितना सामर्थ्य रखते है। ऐसा ही एक कलाकार जिसे अभिनेता कहना, अभिनय के प्रति अन्याय होगा, बिना अभिनय के स्टार बना। इस कलाकार के पास पहले डांसिंग स्ट्रेंथ थी फिर कॉमेडी का पंच था।दोनो को मिला कर गोविंदा बना और एक डेढ़ दशक तक उटपटांग कपड़े पहन कर सफलता के झंडे गाड़ते रहे।

       संजय दत्त से एक बार पूछा गया था कि अमिताभ बच्चन के करोड़ो चहेते है बाकी का क्या? संजय दत्त का कहना था कि हर कलाकार के प्रशंसक होते है, कम ज्यादा हो सकते है। गोविंदा की भी फैंस फ्लोइंग थी, सबसे बड़ी कला के रूप में गोविंदा का अपनी डांसिंग टाइमिंग थी। गोविंदा एक ×एक वर्गफुट के टाइल्स पर भी आपाद मस्तक स्टेप्स कर सकते थे।

 यही कारण था कि लोकल ट्रेन से फिल्म स्टूडियो के चक्कर लगाने वाला गोविंद आहूजा हर डायरेक्टर के पास अपना वीडियो कैसेट छोड़ आता था जिसमे किसी कार्यक्रम में किए गए डांस की रील हुआ करती थी। "इल्जाम"फिल्म इसी कारण मिली और गरीबी के डर ने एक दो महीने में 49फिल्म साइन कर लिया जिसमे अधिकांश चल नहीं पाई। ऐसे में डेविड धवन नाम का भगवान मिला और 18फिल्मों में गोविंदा कॉमेडी किंग बन गए। कुली न वन, आंखे,राजा बाबू, हीरो न वन, दीवाना मस्ताना, हसीना मान जायेगी, साजन चले ससुराल, भागम भाग, पार्टनर उनकी सर्वाधिक देखी जाने वाली फिल्में थी। एक समय ऐसा भी आया था कि अमिताभ बच्चन को फिल्मे मिलना बंद हो गई थी तब छोटे मियां बड़े मियां फिल्म में अमिताभ ने गोविंदा से आग्रह किया था कि वे साथ में काम कर ले। 

 गोविंदा युग खत्म हो गया है लेकिन फिल्म उद्योग में गोविंदा को नाच गम्मत के साथ कामेडी के साथ साथ विचित्र रंगो के कपड़े पहनने के लिए याद किया जा सकता है।आज गोविंदा 60साल के हो गए है


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