गरीब देशों को कैसे मिलेगी कोरोना की वैक्सीन, कौन उठाएगा खर्च?

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एक तरफ जहां दुनियाभर में कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप फिर से बढ़ने लगा है वहीं कई कंपनियां अगले महीने तक वैक्सीन लॉन्च करने का दावा कर रही हैं। ऐसे में वैक्सीन किन देशों को और कैसे मिलेगी इसपर भी चर्चा तेज हो गई है। एक साल से कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही दुनिया के लिए वैक्सीन पर ट्रायल के नतीजे उम्मीद बढ़ाने वाले हैं। सबकुछ ठीक रहा तो फाइजर, स्पूतनिक- 5 और मॉडर्ना के टीके अगले महीने या अगले साल की शुरुआत तक आ सकते हैं। इनका ट्रायल एडवांस स्टेज में है। WHO के अनुसार दुनिया में अभी करीब चार दर्जन कोरोना वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के दौर में हैं। इसी के साथ दुनिया में इन वैक्सीन्स को लेकर कई सवालों पर भी चर्चा शुरू हो चुकी है। जैसे पहले किसे मिलेगी ये वैक्सीन, कितनी कीमत होगी और गरीब देशों की इन वैक्सीन में क्या हिस्सेदारी होगी? चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि दुनिया की आबादी करीब 7 अरब है जबकि तैयार हो रही वैक्सीन के डोज की संख्या काफी सीमित. कोरोना से बचाव के लिए एक इंसान को वैक्सीन की दो डोज की जरूरत होगी। जबकि कई अमीर देश अभी से अपने हर नागरिक के लिए वैक्सीन के 5-5 डोज बुक कर चुके हैं। इस रेस में गरीब देश पिछड़ते हुए दिख रहे हैं जबकि अफ्रीका के कई देशों में अभी कोरोना वायरस संक्रमण की पहली ही शुरू हुई है और आने वाले समय में महामारी के संकट के और गहराने का अंदेशा जताया जा रहा है।
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