केरल में अभी नहीं लागू होगा ‘विवादास्पद’ पुलिस अधिनियम संशोधन

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केरल में विवादास्पद पुलिस अधिनियम संशोधन क़ानून फ़िलहाल लागू नहीं होगा। लगातार हो रहे विरोध के बीच केरल सरकार ने यह फ़ैसला लिया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने इस फ़ैसले को लेकर कहा है कि, "संशोधन की घोषणा के बाद अलग-अलग धड़ों से अलग-अलग तरह के विचार आए हैं।उन लोगों ने भी चिंता जताई है जिन्होंने वाम जनतांत्रिक मोर्चे का समर्थन किया है और जो लोकतंत्र की रक्षा के लिए खड़े रहे हैं। ऐसी स्थिति में क़ानून में संशोधन लाने का इरादा नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि, "विधानसभा में विस्तार से इस पर चर्चा की जाएगी और फिर आगे इस संबंध में सभी दलों के विचार सुनने के बाद क़दम उठाए जाएंगे" केरल सरकार के पुलिस अधिनियम में मौजूदा संशोधन के प्रस्ताव का विपक्ष बड़े पैमाने पर विरोध कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि इस क़ानून का इस्तेमाल सरकार अभिव्यक्ति की आज़ादी छीनने,आलोचनाओं को चुप कराने और मीडिया को निशाना बनाने के लिए कर सकती है। हालांकि मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने कहा है कि इस क़ानून का इस्तेमाल किसी भी तरह से अभिव्यक्ति की आज़ादी को छीनने या निष्पक्ष पत्रकारिता को दबाने में नहीं किया जाएगा। इस अध्यादेश में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने की बात कही गई है। इसमें सोशल मीडिया या किसी अन्य माध्यम से आपत्तिजनक साम्रगियों को फैलाने वालों को तीन साल की सज़ा या फिर दस हज़ार का जुर्माना या फिर दोनों सज़ाएँ एक साथ देने की बात कही गई है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के आईटी एक्ट की धारा 66A और केरल पुलिस एक्ट की धारा 118 (d) को निरस्त कर दिया था।


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