कहां तक पहुंचा वैक्सीन बनाने का काम

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पुणे के सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया में टेस्ट से गुजर रही ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राज़ेनिका की वैक्सीन कोविशील्ड रेस में सबसे आगे है। जबकि इस वैक्सीन को बनाने वाली ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रेजनेका ने अन्य देशों में तीसरे फेस का ट्रायल खत्म कर दिया है और वैक्सीन अप्रूवल के लिए यूके अथॉरिटी के सामने प्रपोजल भेजा है। यह वैक्सीन फेज-3 के परीक्षण में करीब 94 फीसदी तक कामयाब रही थी लेकिन वैज्ञानिको के कान उस वक्त खड़े हो गए जब ट्रायल के स्टेज 3 में प्रारंभिक आंकड़ों में 2 अलग-अलग तरह के प्रभाव दिखे। वैक्सीन डोजिंग के एक तरीके में ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका वैक्सीन 90% असरदार पाई गई और दूसरे तरीके में 62% असरदार रही। यही वजह है कि कंपनी ने एक बार फिर से जांच का मन बनाया है। भारत बायोटेक के स्वदेशी वैक्सीन के तीसरे चरण का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से इसकी इजाजत मिल चुकी है। तीसरे चरण के परीक्षण में कोवैक्सिन की ये खुराक 18 साल या उससे ऊपर के करीब 28,500 लोगों को दी जाएगी। देश के सबसे भरोसेमंद अस्पतालों में से एक दिल्ली के एम्स में कोवैक्सिन का ट्रायल शुरू हो गया है। बता दें कि अहमदाबाद में भारत की स्वदेशी कोरोना वैक्सीन जायकोव-डी का ट्रायल चल रहा है। पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड का ट्रायल किया जा रहा है।जबकि हैदराबाद में भारत बायोटेक और आईसीएमआर मिलकर स्वदेशी कोवैक्सिन तैयार कर रहे हैं।


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