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बिलासपुर के गौरव पद्मश्री पं श्यामलाल चतुर्वेदी की प्रतिमा का अनावरण आज
पद्मश्री पं.श्यामलाल चतुर्वेदी की आंखों में छत्तीसगढ़ी को राजभाषा बनाने का सपना था। उन्होंने इसे आखिरी सांस तक नहीं छोड़ा। 20 फरवरी 1926 को कोतमी सोनार(चांपा जांजगीर जिला) गांव के गौंटिया चंदूलाल चतुर्वेदी एवं माता प्रेमकुंवर के यहां जन्मे पं.श्यामलाल छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के प्रथम अध्यक्ष थे। पेशे से पत्रकार दिल से कलमकार और माटी के प्रति सच्चे प्रेम से पगे असाधारण प्रतिभा के धनी थे। 7 दिसंबर 2018 को निजी अस्पताल में इलाज के दौरान जब अंतिम सांस ले रहे थे। उनकी जुबान पर छत्तीसगढ़ी को राजभाषा की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए शब्द निकल रहे थे।
बुखार में अर्धचेतना में उनके मुंह से ऐसे ही कुछ शब्द निकलते रहे। 2 अप्रैल 2018 को राष्ट्रपति भवन में महामहिम से पद्मश्री सम्मान प्राप्त करने पहुंचे तो उनकी चिंता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को वह पत्र सौंपने की थी। जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की थी। सचिव के माध्यम से पत्र सौंपा और जैसे ही सौजन्य भेंट का वक्त आया, पंडितजी ने उनसे अपना पत्र मिलने की बात पूछी और छत्तीसगढ़ी को राजभाषा बनाने के बारे में पूछा। जवाब आया इस पर विचार चल रहा है।
पं.चतुर्वेदी अब हमारे बीच नहीं है लेकिन यह पूरे शहर और प्रदेश के लिए गौरव की बात है कि 3 जनवरी को राजेंद्र नगर चौक पर मुख्यमंत्री उनकी प्रतिमा का अनावरण करने जा रहे हैं। मिट्टी तेल गली से स्मार्ट रोड बन चुके मार्ग का नामकरण बिलासपुर के गौरव पद्मश्री स्व.पंडित श्याम लाल चतुर्वेदी के नाम पर किया गया है।
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