नक्सली की उप राजधानी में उम्मीद की सड़क

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जिले का जगरगुंडा गांव तीन जिलों का जंक्शन है। ये नक्सलियों की उप राजधानी रहा है। 17 सालों से नक्सलियों और जवानों के बीच लोग जिंदगी के लिए जूझ रहे हैं। इस गांव में शाम 6 बजे के बाद कोई नहीं निकलता। 15 सालों से ये पूरा इलाका देश दुनिया से अछूता रहा है। इस गांव तक पहुंचने तीन जिलों सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा से 3 अलग-अलग सड़कें बन रही हैं । ये तीनों सड़कें जगरगुंडा के अलावा इन जिलों के करीब 100 गांवों के लिए बड़ी खुशियां व उम्मीदें लेकर आ रही हैं। यहां सुरक्षा बलों के जवानों ने सबसे ज्यादा 450 से ज्यादा आईईडी बम बरामद किए हैं।। जबकि 500 से ज्यादा स्पाइक्स भी मिले हैं।अब भी आए दिन आईईडी बम मिलता है। जवान जान हथेली पर लेकर सिर्फ इसलिए निकलते हैं कि यहां सड़क बन जाए और इलाका नक्सलमुक्त हो। इन सड़कों के निर्माण में सुरक्षा देते 55 जवानों की शहादत हो चुकी है।


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