झीरम गांव में आजादी के 73 साल बाद पहुंची बिजली

दूरसंचार टॉवर व हवाई सेवाओं से बस्तर में एक नए युग की शुरूआत

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आकांक्षी जिलों की देशव्यापी डेल्टा रैंकिंग में बीजापुर देश में अव्वल आया। आकांक्षी जिलों के अन्य मापदण्डों में कोण्डागांव, नारायणपुर और सुकमा जिले ने भी अपना झण्डा गाड़ा। झीरम गांव में आजादी के 73 साल बाद बिजली पहुंचने की जितनी खुशी बस्तरवासियों को है, उससे अधिक खुशी हमें है। बस्तर में 400 के.व्ही. से लेकर 132 के.व्ही. का ऐसा अति उच्च दाब नेटवर्क बनाया गया, जिससे बस्तर में दोहरी-तिहरी बिजली आपूर्ति की व्यवस्था हो। इसी प्रकार सौर ऊर्जा से घरों, अस्पतालों, शालाओं, आश्रमों को रोशन करने के कीर्तिमान बने, ताकि बिजली की शक्ति भी आदिवासी समाज की शक्ति बने। बस्तर को दूरसंचार टॉवर व हवाई सेवाओं से जोड़कर सुगम सम्पर्क का एक नया युग भी शुरू किया गया। दशकों से वनोपज के नाम पर तेंदूपत्ता संग्रहण को सीमित तौर पर आजीविका का साधन बनाकर रखा गया था, हमने संग्रहण पारिश्रमिक 2 हजार 500 रूपए से बढ़ाकर 4 हजार प्रति मानक बोरा किया, शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना के माध्यम से इस काम में लगे परिवारजनों को सुरक्षा और बेहतरी का सुरक्षा कवच उपलब्ध कराया। इसके साथ ही 7 से बढ़ाकर 52 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की शुरुआत की तथा वनांचल में प्रसंस्करण केन्द्रों की स्थापना पर जोर दिया।


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