कोरोना वैक्सीन की रेस में कैसे पिछड़ गया यूरोप?

feature-top

यूरोप के चार देश जर्मनी, फ्रांस, इटली और नीदरलैंड्स एस्ट्राज़ेनेका की कोविड- 19 वैक्सीन खरीदने का समझौता करने के करीब थे। तब तक वैक्सीन तैयार नहीं हुई थी।

इस डील को लेकर यूरोप के बाकी देशों की राय कुछ अलग थी। उनके मुताबिक इस तरह का समझौता यूरोपीय यूनियन के जरिए होता तो ज़्यादा बेहतर रहता और फिर वैक्सीन समझौतों से जुड़ी सभी चर्चाएं यूरोपीय कमीशन के अधिकारियों के सुपुर्द कर दी गईं। 

अगले एक महीने में ख़ास प्रगति नहीं हुई। दो महीने बाद एस्ट्राज़ेनेका के साथ मूल समझौते पर सहमति बनी और तीन महीने बाद यानी सितंबर में यूरोपीय संघ एक और समझौते के करीब पहुंच गया। इसके साथ यूरोपीय यूनियन को वैक्सीन की इतनी खुराकें मिलनी तय हो गई कि जिससे यूरोप की कुल आबादी का कई बार टीकाकरण हो सके।  लेकिन जब की आपूर्ति का वक़्त आया तो यूरोप पिछड़ गया, जिस वक़्त ब्रिटेन अपनी कुल आबादी के 17 फ़ीसद लोगों को कम से कम एक टीका लगा चुका है और अमेरिका में ये संख्या नौ फ़ीसद है। उसी वक़्त यूरोप के सिर्फ़ तीन फ़ीसद लोगों को टीका लगा है।

 


feature-top