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दोषी को रियायत से इनकार: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'हम समाज को ‘जंगल’ बनने की इजाजत नहीं दे सकते;
समाज को "जंगल" बनने की इजाजत नहीं दी जा सकती है, यह टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2009 में नाबालिग से दुष्कर्म व हत्या के दोषी नरेश शाह को किसी भी तरह की रियायत देने से इनकार कर दिया। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने शाह की इस दलील को भी नकार दिया कि घटना के वक्त वह 20 साल का था,इसलिए उसे राहत दी जाए।
पीठ ने दोषी की ओर से पेश वकील मीनाक्षी विज से कहा कि जरा, आप पीड़िता के बारे में सोचिए।आपके मुवक्किल को तो इस बात का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उसे फांसी की सजा नहीं दी गई। उसने जो कृत्य किया है, उसे उसकी सजा मिलनी ही चाहिए। विधिक सेवा अथॉरिटी की ओर से नरेश शाह को मुहैया कराई गई वकील विज ने कहा कि वह एक दशक से अधिक वक्त से जेल में है। ऐसे में उस पर रहम किया जाए। ऐसा कोई आदेश जारी किया जाए जिससे वह जेल से बाहर आ सके। उन्होंने यह भी कहा कि घटना के वक्त नरेश 20 साल का था।उन्होंने सजा को कम करने की भी मांग की।
इस पर पीठ ने कहा कि इस समाज को "जंगल"बनने की इजाजत नहीं दी जा सकती। हम इसकी कतई अनुमति नहीं दे सकते। हम दोषी की सजा कम करने का रास्ता नहीं निकाल सकते। हम यह भी देख रहे हैं कि एक तरफ पीड़िता भी है। पीठ ने कहा कि हमें अपने विशेषाधिकार का प्रयोग हर मामले के तथ्यों के आधार पर करना चाहिए। यह कहते हुए पीठ ने दोषी नरेश को पैरोल देने से इनकार कर दिया।
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