छत्तीसगढ़ मे पहले भी बड़े माओवादी हमले होते रहे हैं

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छत्तीसगढ़ नक्सलवाद से प्रभावित रहा है और पहले भी इस तरह के बड़े माओवादी हमले होते रहे हैं।

रानीबोदली- 15 मार्च 2007 

बीजापुर के रानीबोदली में पुलिस के एक कैंप पर आधी रात को माओवादियों ने हमला किया और भारी गोलीबारी की.,इसके बाद कैंप को बाहर से आग लगा दिया. इस हमले में पुलिस के 55 जवान मारे गए। 

उरपलमेटा - 9 जुलाई 2007 

एर्राबोर के उरपलमेटा में सीआरपीएफ और ज़िला पुलिस का बल माओवादियों की तलाश कर के वापस बेस कैंप लौट रहा था,इस दल पर माओवादियों ने हमला बोला, जिसमें 23 पुलिसकर्मी मारे गए। 

मदनवाड़ा - 12 जुलाई 2009 

राजनांदगांव के मानपुर इलाके में माओवादियों के हमले की सूचना पा कर पहुंचे पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार चौबे समेत 29 पुलिसकर्मियों पर माओवादियों ने हमला बोला और उनकी हत्या कर दी। 

ताड़मेटला - 6 अप्रैल 2010 

बस्तर के ताड़मेटला में सीआरपीएफ के जवान सर्चिंग के लिए निकले थे, जहां संदिग्ध माओवादियों ने बारुदी सुरंग लगा कर 76 जवानों को मार डाला था। 

दंतेवाड़ा- 17 मई 2010 

एक यात्री बस में सवार हो कर दंतेवाड़ा से सुकमा जा रहे सुरक्षाबल के जवानों पर माओवादियों ने बारूदी सुरंग लगा कर हमला किया था, जिसमें 12 विशेष पुलिस अधिकारी समेत 36 लोग मारे गए थे। 

धोड़ाई - 29 जून 2010 

नारायणपुर जिले के धोड़ाई में सीआरपीएफ के जवानों पर माओवादियों ने हमला किया। इस हमले में पुलिस के 27 जवान मारे गए। 

दरभा - 25 मई 2013 

बस्तर के दरभा घाटी में हुए इस माओवादी हमले में आदिवासी नेता महेंद्र कर्मा,कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नंद कुमार पटेल,पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 30 लोग मारे गए थे। 

दुर्गपाल - 24 अप्रैल 2017 

सुकमा ज़िले के दुर्रपाल के पास नक्सलियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 25 जवान उस समय मारे गये, जब वे सड़क निर्माण में सुरक्षा के बीच खाना खा रहे थे। 

श्यामगिरी: 9 अप्रैल 2019 

दंतेवाड़ा के लोकसभा चुनाव में मतदान से ठीक पहले नक्सलियों ने चुनाव प्रचार के लिए जा रहे भाजपा विधायक भीमा मंडावी की कार पर हमला किया था। माओवादियों के इस हमले में भी

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