अयोध्या, वाराणसी, मथुरा में बीजेपी की हार

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बीजेपी प्रवक्ता मनीष शुक्ल कहते हैं, "पंचायत चुनाव के परिणाम बताते हैं कि जनता ने बीजेपी पर विश्वास दोहराया है। हमारे अधिकृत प्रत्याशियों के अतिरिक्त कई जगह निर्दलीय जीते हैं। वो भी हमारी विचारधारा के ही हैं। ज़िला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में हमारी विश्वसनीयता की परख हो जाएगी जब सभी 75 ज़िलों में अध्यक्ष पद पर हमारे उम्मीदवार जीतेंगे। कई लोग तो सभी सीटों पर प्रत्याशी भी नहीं उतार पाए थे, लेकिन अब वो भी बढ़- चढ़ कर दावा कर रहे हैं‌। पंचायत अध्यक्ष चुनाव में सब दिख जाएगा।

बीजेपी प्रवक्ता परिणाम को संतोषजनक भले ही बता रहे हों लेकिन सच्चाई यह है कि पार्टी ने जिस जोश- ख़रोश के साथ उम्मीदवार उतारे थे और जिस तरीक़े से चुनाव का प्रबंधन किया था, अपने बड़े नेताओं और मंत्रियों को भी प्रचार में उतारा था, उसे देखते हुए राजनीतिक विश्लेषक इसे बीजेपी के लिए "बड़ा आघात" बता रहे हैं।

बीजेपी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा अयोध्या, वाराणसी, प्रयागराज, मथुरा जैसे उन ज़िलों में भी बुरी हार का सामना करना पड़ा है ,जहां पार्टी और सरकार की सक्रियता आमतौर पर ज़्यादा रहती है। यही नहीं, पार्टी के कई नेता, विधायक और मंत्री भी अपने रिश्तेदारों तक को चुनाव नहीं जिता पाए।


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