कोवैक्सीन की कमी: कंपनी ने कहा- टीके के प्रोडक्शन और सप्लाई की प्रक्रिया जटिल

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कोरोना वायरस की दूसरी लहर के घातक होने के कारण बढ़ी मांग के सामने कोरोना टीके की घरेलू सप्लाई बौनी पड़ गई है। देश में कोरोना टीकाकरण चल रहा है, तेजी लाने के लिए कई विदेशी वैक्सीन के मंजूरी दिए जाने की भी बात चल रही है। स्पूतनिक पहले ही भारत में लोगों के लगाई जा रही है। लेकिन टीके की किल्लत अभी बनी हुई है।

इसी बीच कोवैक्सिन की किल्लत भी काफी देखी जा रही है।कंपनी ने शुक्रवार को बताया कि उसके टीके के प्रोडक्शन और सप्लाई की प्रक्रिया जटिल है। इसकी पूरी प्रक्रिया काफी समय भी लेती है। कोवैक्सीन की दो डोज ली जाती हैं।

भारत बायोटेक के अनुसार, कोवैक्सिन को बनाने के साथ टेस्ट करने और उसका बैच रिलीज करने में 120 दिन लगते हैं। मतलब इस साल मार्च में कोवैक्सिन के जितने डोज बने,घं वे सप्लाई के लिए जून तक ही तैयार हो सकेंगे।

साथ ही जानकारी दी कि इसके कई चरण होते हैं और इसमें काफी कर्मचारी चाहिए होताे हैं। वैक्सीन का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए कई तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना होता है।इस वजह से आम लोगों तक टीका लगने में 4 महीने का वक्त लग जाता है।

मांग को देखते हुए भारत बायोटेक 20 करोड़ अतिरिक्त डोज बनाने के लिए कदम उठा रहा है।ये डोज गुजरात स्थित एक यूनिट में बनाए 

इससे कोवैक्सिन का सालाना प्रोडक्शन बढ़कर 100 करोड़ डोज हो जाएगा।


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