तेल की बढ़ती क़ीमतें, मलेशिया एंगल कितना ज़िम्मेदार..?

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अमरोहा के रहने वाले किसान साजिद हुसैन ने मार्च में 400 किलो सरसों 4200 रुपए प्रति क्विंटल के रेट से बेची यानी 42 रुपए प्रति किलो. उन्हें अंदाजा नहीं था कि एक महीने में हीसरसों के दाम लगभग दोगुने हो जाएँगे। 

वहीं मुजफ्फरनगर के किसान सुभाष सिंह ने अपनी फसल को घर में ही स्टॉक करके रखा।उन्होंने एक ऑनलाइन पोर्टल पर अपनी सरसों का भाव 7 हज़ार रुपए प्रति क्विंटल रखा है। उन्हें उम्मीद है कि दाम अभी और बढ़ेंगे। 

आम तौर पर गन्ने की खेती करने वाले सुभाष सिंह ने इस बार केवल बोनस इनकम के लिए थोड़ी सरसों बोई थी। सुभाष सिंह कहते हैं,भाव के पांच हज़ार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंचने की उम्मीद तो थी लेकिन ये नहीं पता था कि दाम सात हज़ार के पास पहुंच जाएंगे। 

सरसों के दाम बढ़ने की वजह ये है कि इस समय सरसों के तेल के दाम ऐतिहासिक ऊंचाई पर हैं। बाज़ार में एक लीटर तेल के दाम 175 रुपए तक पहुंच गए हैं,वहीं शुद्ध कच्ची घानी सरसों का तेल तो दो सौ रुपए किलो तक बिक रहा है।

भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग के मुताबिक़ अप्रैल 2020 में भारत में एक किलो सरसों के तेल की औसतन क़ीमत 117.95 रुपए थी जबकि नवंबर 2020 में यही दाम 132.66 रुपए प्रति किलो था. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक़ मई 2021 में भारत में सरसों के तेल की औसतन क़ीमत 163.5 रुपए प्रति किलो थी।

 अंतरराष्ट्रीय बाज़ार 

खंडेलवाल कहते हैं,पिछले 13 सालों में अंतरराष्ट्रीय खाद्य तेल बाज़ार सबसे ऊंचे स्तर पर है। जो तेल 25 सेंट तक का मिल जाता था उसका दाम अभी 65 सेंट (0.65 डॉलर) के आसपास है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ऑयल सीड से मिलने वाले खाद्य तेलों के दाम लगभग दोगुना हो गए हैं। जिसका सीधा-सीधा असर भारत के बाज़ार पर भी पड़ रहा है। यदि यह तेज़ी जारी रही तो सरसों के दाम 8 हज़ार रुपए क्विंटल तक भी पहुंच सकते हैं।

सरसों के तेल के दाम बढ़ने की एक और वजह बताते हुए खंडेलवाल कहते हैं,दुनिया भर के देश ग्रीन एनर्जी की तरफ बढ़ रहे हैं।इसकी वजह से बायोडीजल की खपत भी बढ़ी है। इसमें भी खाद्य तेलों का इस्तेमाल होता है। संभवत: इस वजह से भी वर्ल्ड मार्केट में खाद्य तेलों के दाम बढ़े हों।

कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा सरसों के तेल के दामों के बढ़ने को एक स्वागत योग्य संकेत मानते हैं।वो कहते हैं,इसका सीधा फायदा किसानों को हो रहा है। ऐसे में कृषि क्षेत्र के लिए अच्छी बात है।

देवेंद्र शर्मा मानते हैं कि भारत में खाद्य तेलों के दाम बढ़ने के पीछे कहीं न कहीं भारत सरकार का मलेशिया से पाम ऑयल के आयात पर सख़्त होना भी है।

शर्मा कहते हैं, "जब मलेशिया ने कश्मीर के ऊपर टिप्पणी की तब भारत ने मलेशिया से पाम ऑयल को इंपोर्ट को फ्री-लिस्ट से निकालकर रिस्ट्रिक्टेड लिस्ट में रख दिया। भारत अधिकतर पाम आयल मलेशिया से ही इंपोर्ट करता है।लेकिन अब भारत का मलेशिया से आयात लगभग ज़ीरो हो गया है। इसका सीधा असर भारत के खाद्य तेल बाज़ार पर हुआ है।


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