बलूचिस्तान में पकड़ी गई मछली 7.80 लाख रुपये में क्यों बिकी

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बलूचिस्तान के समुद्र किनारे मौजूद ग्वादर ज़िले के मछुआरे अब्दुल हक़ और उनके साथ काम करने वाले दूसरे लोगों की ख़ुशी का ठिकाना तब नहीं रहा जब उन्होंने अपने जाल में एक क्रोकर (Croaker) मछली को देखा।

हालांकि, वज़न और लंबाई के लिहाज़ से यह बहुत बड़ी मछली नहीं थी लेकिन यह क़ीमती थी इसलिए उन्होंने इसे मार्केट में पहुंचाने में देर नहीं लगाई। 

अब्दुल हक़ के चचेरे भाई राशिद करीम बलोच ने बताया कि 26 किलो वज़नी मछली सात लाख 80 हज़ार रुपये में बिक गई। 

राशिद करीम ने बताया कि इस मछली को पकड़ने के लिए दो महीने मेहनत करनी पड़ती है और इतनी कोशिशों के बाद यह आपके हाथ लग जाए तो ख़ुशी तो बनती है। 

क्यों क़ीमती है यह मछली? ।

ग्वादर डिवेलपमेंट अथॉरिटी के असिस्टेंट डायरेक्टर इन्वायरमेंट और वरिष्ठ जीव विज्ञानी अब्दुल रहीम बलोच ने बताया कि कई मछलियां अपने मांस की वजह से ज़्यादा क़ीमती होती हैं लेकिन क्रोकर के मामले में यह अलग है। 

उनका कहना था कि इस क्रोकर मछली की क़ीमत इसके एयर ब्लेडर की वजह से, जिसमें हवा भरने की वजह से वो तैरती हैं।

उन्होंने बताया कि क्रोकर मछली के एयर ब्लेडर से वो टांके बनते हैं जो इंसान की सर्जरी के दौरान उसके शरीर के अंदर लगाए जाते हैं और ख़ासतौर पर ये दिल के ऑपरेशन के समय टांके लगाने के लिए इस्तेमाल होता है।


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