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सुप्रीम कोर्ट के चार पूर्व जज बोले, राजद्रोह कानून को रद्द करने की जरूरत
सुप्रीम कोर्ट के चार पूर्व जजों ने शनिवार को कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और राजद्रोह कानून का दुरुपयोग किया जाता है। इन कानूनों को असहमति को दबाने में किया गया है। ऐसे में इन कानूनों को रद्द करने की जरूरत है। चारों पूर्व जजों ने लोकतंत्र, असहमति और कड़े कानून विषय पर चर्चा में ये बातें कहीं।
यूएपीए के तहत गिरफ्तार किए गए 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी की हालिया मौत का जिक्र करते हुए जज आफताब आलम ने कहा, राष्ट्रीय सुरक्षा और सांविधानिक आजादी के मामले में यह कानून विफल रहा है।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा, लोकतंत्र में ऐसे कठोर कानूनों के लिए कोई जगह नहीं है। शीर्ष अदालत के पूर्व जस्टिस मदन बी लोकुर का विचार था कि उन लोगों के लिए मुआवजे की एक व्यवस्था होनी चाहिए, जिन्हें गलत तरीके से फंसाया गया और बाद में बरी कर दिया गया।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के ही एक और पूर्व जज जस्टिस गोपाल गौड़ा ने कहा, ऐसे कानून अब असहमति के खिलाफ एक हथियार बन गए हैं और उन्हें निरस्त करने की जरूरत है।
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