अफ़ग़ानिस्तान के मौजूदा हालात पर ब्रिटेन में संसद का विशेष सत्र

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अफ़ग़ानिस्तान की मौजूदा स्थिति पर चर्चा करने के लिए ब्रिटेन की संसद में विशेष सत्र बुलाया गया है.

यह विशेष सत्र "अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति पर विचार” के लिए बुलाया गया है. हालांकि विशेष सत्र के दौरान वोटिंग होने की संभावना नहीं है. 

विशेष सत्र बुलाए जाने पर सवाल उठाते हुए कुछ सांसदों-राजनेताओं ने कहा कि अब इस अंतिम चरण में संसद को वापस बुलाने से क्या हासिल होगा. 

साल 2013 के बाद से यह पहला मौक़ा है जब सांसदों को ग्रीष्मकालीन अवकाश से बुलाया जा रहा है. इससे पूर्व तत्कालीन प्रधान मंत्री डेविड कैमरन ने सीरिया में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल पर चर्चा करने के लिए एक आपातकालीन सत्र बुलाया था.

संसद में बहस शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सांसदों को संबोधित किया.

सांसद जॉन बैरॉन के एक सवाल का जवाब देते हुए बोरिस जॉनसन ने कहा कि उनकी सरकार अफ़ग़ानिस्तान मिशन के दौरान ब्रिटेन का समर्थन करने वाले लोगों के लिए वो सबकुछ करेगी जो वो कर सकती है.

बोरिस जॉनसन ने कहा कि 9/11 के हमले को लगभग 20 साल हो चुके हैं.जिसके कारण नेटो के सहयोगी देश अफ़ग़ानिस्तान गए. अफ़ग़ानिस्तान को स्थिर करने के लिए हम जो कुछ भी कर सकते थे, वो करने के लिए हम अफ़ग़ानिस्तान गए.

सांसद टोबियास एलवुड ने बोरिस जॉनसन से सवाल पूछा कि क्या प्रधान मंत्री इस बात से सहमत हैं कि ब्रिटेन अब उन्हीं विद्रोहियों को दोबारा सत्ता सौंप रहा है?

इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि हम उस मिशन में सफल हुए और अफ़ग़ानिस्तान में प्रशिक्षण शिविर को नष्ट कर दिया गया.

पूर्व प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति पर सरकार के आकलन पर सवाल उठाया.

उन्होंने सवाल किया कि "क्या वास्तव में खुफ़िया जानकारी इतनी ग़लत थी? क्या अफ़गान सरकार के बारे में हमारी समझ इतनी कमजोर थी? क्या जमीन पर स्थिति के बारे में हमारी जानकारी इतनी अपर्याप्त थी? या क्या हमें लगा कि हमें अमेरिका का अनुसरण करना चाहिए?

उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान ने घोषणा की है कि महिलाएं काम कर सकेंगी और लड़कियां इस्लामी कानून के तहत स्कूल जा सकेंगी, लेकिन यह "इस्लामी कानून की उनकी व्याख्या के तहत है और हमने पहले भी देखा है कि महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों के लिए इसका क्या मतलब है.


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