बस्तर बॉर्डर पर नक्सलियों की सभा में तेलंगाना के टॉप नक्सली जुटे, सुरक्षा बलों के दावे पर उठे सवाल

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शहीदी सप्ताह के अंतिम दिन बस्तर और तेलंगाना बॉर्डर पर नक्सलियों की बड़ी सभा देखने को मिली. इस सभा में भारी संख्या में नक्सलियों के साथ साथ बस्तर के आस पास के गांवों के लोग भी जुटे. नक्सलियों की तरफ से दावा किया गया है कि इस सभा में करीब 10 हजार से ज्यादा ग्रामीण जुटे. इसके साथ ही यह दावा किया जा रहा है कि इस रैली में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के बड़े नक्सली भी शामिल हुए हैं. अगर ये सच है तो नक्सलियों के खात्मे को लेकर सुरक्षाबलों की तरफ से जो दावे किए जा रहे हैं उस पर सवाल उठ रहे हैं. अगर नक्सली कैडर बैकफुट पर हैं तो शहीदी सप्ताह में नक्सलियों ने इतना बड़ा आयोजन कैसे किया.

नक्सली 28 जुलाई से 3 अगस्त तक मनाते हैं शहीदी सप्ताह: नक्सली हर साल 28 जुलाई से 3 अगस्त तक शहीदी सप्ताह मनाते हैं. शहीदी सप्ताह का आयोजन कर नक्सली कैडर अपनी सक्रियता दिखाने का काम करता है. ऐसे में हजारों ग्रामीणों के साथ भारी संख्या में नक्सलियों का जमघट लगना चिंता की बात है. अरसे से चल रही थी नक्सलियों के जनसभा की तैयारियां: सूत्रों की माने तो पिछले कई महीनों से बस्तर के जंगलों में नक्सलियों के इस आयोजन की तैयारी चल रही थी. साथ ही बड़े लीडर समेत दक्षिण बस्तर और तेलंगाना राज्य की सीमा के नजदीक एक जगह को नक्सलियों ने चिन्हाकित किया और ग्रामीणों की मदद से एक बड़ा मंच तैयार किया गया. इसके साथ ही नक्सलियों का एक भव्य स्मारक तैयार किया गया जो अब तक का सबसे बड़ा स्मारक बताया जा रहा है.

अरसे से चल रही थी नक्सलियों के जनसभा की तैयारियां: सूत्रों की माने तो पिछले कई महीनों से बस्तर के जंगलों में नक्सलियों के इस आयोजन की तैयारी चल रही थी. साथ ही बड़े लीडर समेत दक्षिण बस्तर और तेलंगाना राज्य की सीमा के नजदीक एक जगह को नक्सलियों ने चिन्हाकित किया और ग्रामीणों की मदद से एक बड़ा मंच तैयार किया गया. इसके साथ ही नक्सलियों का एक भव्य स्मारक तैयार किया गया जो अब तक का सबसे बड़ा स्मारक बताया जा रहा है.

नक्सलियों और सुरक्षाबलों के दावों पर उठे सवाल: तेलंगाना और छत्तीसगढ़ इन दोनों राज्यों की पुलिस दावा करती है की नक्सली कुछ हिस्सों में सिमट कर रह गए हैं बावजूद दोनों राज्यों के बॉर्डर इलाकों में सुरक्षाबलों के कई कैंप भी खोले गए. गांव गांव में पुलिस की इंटेलिजेंस टीम भी काम करती है. सूचना तंत्र भी मजबूत करने की बात पुलिस कहती है. बावजूद आधुनिक हथियारों से लैस नक्सली लीडर समेत कई नक्सली आखिर कैसे राज्यों की सीमा पार कर यहां पहुंचे. यह सवाल पुलिस और सुरक्षाबलों पर कई सवाल खड़े करता है.

बस्तर आईजी का बयान: इधर इस मामले पर बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि हमारा इंटेलिजेंस काफी मजबूत है. हमने पिछले कुछ महीनों में ही ऐसी जगहों पर कैंप स्थापित किया है. जहां किसी का जाना काफी मुश्किल था. विकास पहुंचाने का काम हम लगातार बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों में कर रहे हैं और यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा अब ऐसे इलाकों में कोई भी व्यक्ति सातों दिन 24 घंटों में आना-जाना कर सकता है. उन्होंने कहा कि तेलंगाना के नक्सलियों का बस्तर में जमावड़ा होना आश्चर्य की बात नहीं है. वैसे भी नक्सली बाहर से ही आए हैं. मुठभेड़ में कईयों को ढेर किया है. नक्सली हर साल अपने मारे गए साथियों की याद में शहीदी सप्ताह मनाते हैं. ग्रामीणों पर दबाव बनाते हैं और अपनी सभा में शामिल करते हैं


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