संजय राउत ने 'सामना' में सलाखों से लिखा 'रोकटोक' कॉलम? ईडी करेगा जांच

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मुंबई के चर्चित पात्रा चॉल घोटाले को लेकर ईडी द्वारा गिरफ्तार शिवसेना नेता संजय राउत को लेकर नया विवाद पैदा हो गया है। शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में उनका साप्ताहिक कॉलम 'रोकटोक' छपा है, जबकि वे इस वक्त ईडी की हिरासत में हैं। हिरासत के दौरान उन्होंने यह आलेख कैसे लिखा? ईडी अब इसकी भी जांच करेगा। हिरासत में वे कोर्ट की बगैर अनुमति आलेख नहीं लिख सकते हैं।

संजय राउत आठ दिनों से ईडी की हिरासत में हैं। उनसे पात्रा चॉल घोटाले व अन्य आरोपों को लेकर लगातार पूछताछ की जा रही है। शनिवार को उनकी पत्नी वर्षा राउत से भी ईडी ने नौ घंटे तक पूछताछ की थी। संजय राउत को आज हिरासत अवधि खत्म होने पर कोर्ट में पेश किया जा सकता है।

हिरासत में रहने के दौरान आलेख नहीं लिख सकते प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सूत्रों ने बतया कि राउत हिरासत में रहने के दौरान कोई आलेख नहीं लिख सकते हैं जब तक कि इसके लिए कोर्ट से अनुमति नहीं ली हो। उन्हें ऐसी कोई इजाजत नहीं दी गई है। बताया जा रहा है कि इस आलेख में ईडी, राज्यपाल, महाराष्ट्र बनाम गुजरात मारवाड़ी विवाद जैसे मुद्दों पर राउत की चिरपरिचत शैली में छींटाकशी की गई है। 'रोकटोक' कॉलम में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यिारी की गुजराती व मारवाड़ियों को लेकर कही गई बातों, जिस पर कोश्यिारी माफी मांग चुके हैं, को लेकर भी टिप्पणी की गई है। 

कथित तौर पर राउत द्वारा लिखे गए कॉलम में लिखा 'महाराष्ट्र के स्वाभिमान से किसी ने खेल किया तो मराठी माणुस भड़क उठता है। यह इतिहास है। कोश्यारी ने अपने एक भाषण में क्या कहा? गुजराती और मारवाड़ी लोग मुंबई में हैं, इसलिए मुंबई को आर्थिक राजधानी का दर्जा प्राप्त है। गुजराती-मारवाड़ी लोगों को बाहर निकाला गया तो मुंबई में पैसा नहीं रहेगा। क्या राज्यपाल का यह बयान बिना उद्देश्य के आ सकता है?' यह भी लिखा है कि 'मुंबई के गुजराती और मारवाड़ी समाज के लोगों को भी राज्यपाल का यह बयान पसंद नहीं आया है।'


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