मिशन 2023 के लिए बीजेपी का ओबीसी प्लान

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बीजेपी ने पिछले कुछ दिनों में छत्तीसगढ़ की राजनीतिक हवा को गर्म कर दिया है.पहले प्रदेशाध्यक्ष का बदलाव इसके बाद नेता प्रतिपक्ष की कमान धरमलाल से लेकर नारायण चंदेल को सौंपना कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहा है. बात ये हो रही है कि धरमलाल और अरुण साव एक ही क्षेत्र से आते थे.लिहाजा पार्टी ने संतुलन बनाने के लिए किसी और को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है. लेकिन कोई कुछ भी कहे लेकिन राजनीति के चश्मे से देखने पर छत्तीसगढ़ के मैदान ए जंग में नए सिपाही सेट होते दिख रहे हैं. अब सवाल ये है कि सेनापति बदलने से मिशन 2023 की जंग को कितने हद तक बीजेपी जीतेगी.इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा.

बदलाव कितना असरदार : बीजेपी ने पहले अरुण साव को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपी.इसके बाद नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी नारायण चंदेल को सौंपा गया. दोनों ही नेता ओबीसी वर्ग से आते हैं. यानी बीजेपी आने वाले चुनाव में ओबीसी वोटबैंक को नजर अंदाज नहीं कर रही. साव जहां साहू वोट बैंक को साधेंगे वहीं चंदेल के पास पावर होने पर ओबीसी वर्ग में आने वाले लोग बीजेपी के पाले में आ सकते हैं.वहीं संघठन में इस फेरबदल को पार्टी निचले स्तर के कार्यकर्ता तक पहुंचाना चाहती है. कार्यकर्ताओं को ये लगना चाहिए कि बीजेपी आने वाले चुनाव में ताजगी के साथ उतरेगी. ना तो पुरानी टीम होगी और ना ही वो नेता जो बरसों से एक ही पद पर रहकर पार्टी में अपनी चला रहे थे. यानी कार्यकर्ताओं को ये संदेश दिया गया है कि चुनाव में उनकी बात को नकारा नहीं जाएगा.

ओबीसी वोटरों को साधने की रणनीति : छत्तीसगढ़ में ओबीसी का एक बड़ा वोट बैंक है. यही वजह है कि सभी राजनीतिक दलों की नजर इस वोट बैंक पर रहती है पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान ओबीसी वर्ग ने कांग्रेस पर भरोसा जताया था. यही वजह रही कि ओबीसी नेताओं ने उस चुनाव में रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की. शायद इसी फार्मूले पर इस बार भाजपा चुनाव लड़ने की तैयारी में है.


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