2024 में नरेंद्र मोदी को हराने के लिए सिर्फ चेहरा ही काफी नहीं, जमीन पर भी करना होगा काम

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जदयू के एनडीए से अलग होने के बाद इस चर्चा को बल मिला है कि विपक्ष को 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एक चेहरा मिल गया है। इसके बाद नए सिरे से विपक्षी एकता की अटकलें तेज हुई हैं।

जदयू के एनडीए से अलग होने के बाद इस चर्चा को बल मिला है कि विपक्ष को 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एक चेहरा मिल गया है। इसके बाद नए सिरे से विपक्षी एकता की अटकलें तेज हुई हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद भी कह चुके हैं कि अगली बार थर्ड फ्रंट नहीं बल्कि मेन फ्रंट बनेगा। लेकिन क्या वास्तव में यह होगा? कहने-सुनने में विपक्षी एकता और विपक्ष के चेहरे की बात जितनी आसान लगती है, लेकिन डगर उतनी ही कठन है।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो सिर्फ विपक्ष के पास चेहरा होना और विपक्ष का एकजुट होना ही एनडीए या मोदी को हराने के लिए काफी नहीं है। बल्कि, विपक्ष को इसके लिए जमीन पर कार्य करने की जरूरत है। विपक्षी दलों खासकर क्षेत्रीय दलों को जो विपक्ष को एकजुट करने के प्रयासों में जुटे हैं, उन्हें यह बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि विधानसभा चुनावों में वे जीत जाते हैं लेकिन लोकसभा चुनावों में उनका प्रदर्शन खराब क्यों रहता है?


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