पितृपक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के लिए क्या करें और क्या नहीं?

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इस साल 10 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है और इसका समापन 25 अगस्त को होगा। पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पितरों को याद करके उनका पूजन करते हैं। उनके लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। हिंदू धर्म में श्राद्ध का विशेष महत्व होता है। श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धापूर्वक किया हुआ वह संस्कार, जिससे पितरों को संतुष्टि प्राप्त होती है। कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान सभी पितर पृथ्वी लोक में वास करते हैं और अपने परिवार वालों को आर्शीवाद देते हैं। पितृ पक्ष के दौरान पितर ये उम्मीद करते हैं कि उनकी संतानें उनके लिए श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान आदि करेंगे, क्योंकि इन कार्यों से वे तृप्त होते हैं। तृप्त होने के बाद वे अपने बच्चों को आशीर्वाद देकर अपने लोक वापस चले जाते हैं। लेकिन ऐसे कई नियम हैं, जिनका पितृ पक्ष में पालन करना जरूरी है। तो चलिए जानते हैं कि पितृपक्ष में क्या करें और क्या नहीं...

पितृ पक्ष के दौरान क्या करें?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितृपक्ष में अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए। वहीं यदि आप अपने पितरों को तर्पण करते हैं, तो ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें।

पितृ पक्ष में क्या न करें?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दिनों में लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे पितर नाराज हो जाते हैं। साथ ही पितृ पक्ष के दौरान अपने घर के बुजुर्गों और पितरों का अपमान न करें। इससे पितर नाराज हो जाते हैं और पितृ दोष लग सकता है।


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