ज्ञानवापी केस: वाराणसी की ज़िला अदालत ने कहा- मामला सुनने योग्य, मुस्लिम पक्ष की अपील ख़ारिज

feature-top

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा है कि जिला जज एके विश्वेश की अदालत ने अपने फ़ैसले में मुस्लिम पक्ष की अपील को खारिज कर दिया है.

इस मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. इसी दिन मुस्लिम पक्ष को जवाब दाख़िल करने को भी कहा गया है.

पिछले साल अगस्त में दिल्ली की एक महिला राखी सिंह और चार अन्य महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में श्रृंगार गौरी और कुछ अन्य देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन की अनुमति की माँग करते हुए एक याचिका दाख़िल की थी.

एक याचिकाकर्ता ने सोहन लाल आर्य ने कहा, "ये हमारे लिए और हिंदू समुदाय के लिए बड़ी जीत है. हम लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं." बीजेपी नेता गिरीराज सिंह ने कहा, "हम फ़ैसले का सम्मान करते हैं, हम ज्ञानवापी का भी सम्मान करते हैं. अगली सुनवाई में भी हमें क़ानून पर भरोसा है."

क्या है मामला?

18 अगस्त 2021 को दिल्ली की पाँच महिलाओं ने वाराणसी की एक अदालत में एक याचिका दाखिल की थी. इन महिलाओं का नेतृत्व राखी सिंह कर रही हैं.।।।। उनका कहना है कि उन्हें मस्जिद के परिसर में माँ शृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, आदि विशेश्वर, नंदीजी और मंदिर परिसर में दिख रही दूसरी देवी देवताओं का दर्शन, पूजा और भोग करने की इजाज़त होनी चाहिए.

इन महिलाओं का दावा है कि माँ शृंगार देवी, भगवान हनुमान और गणेश, और दिखने वाले और अदृश्य देवी देवता दशाश्वमेध पुलिस थाने के वार्ड के प्लॉट नंबर 9130 में मौजूद हैं, जो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से सटा हुआ है.

उनकी यह भी मांग है कि अंजुमन इन्तेज़ामिया मस्जिद को देवी देवताओं की मूर्तियों को तोड़ने, गिराने या नुक़सान पहुंचाने से रोका जाए.

मांग यह भी है कि उत्तर प्रदेश सरकार को "प्राचीन मंदिर" के प्रांगण में देवी देवताओं की मूर्तियों के दर्शन, पूजा और भोग करवाने के लिए सभी सुरक्षा के इंतज़ाम करने के आदेश दिए जाएं.

अपनी याचिका में इन महिलाओं ने अलग से अर्ज़ी देकर यह भी मांग की थी कि कोर्ट एक अधिवक्ता आयुक्त (एडवोकेट कमिश्नर) की नियुक्ति करे जो इन सभी देवी देवताओं की मूर्तियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करे।

 


feature-top