गांधी जयंती के मौके पर पढ़िए राष्ट्रपिता के कहे अनमोल वचन

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महात्मा गांधी का जीवन लोगों के लिए शिक्षा की तरह है। एक ऐसी शिक्षा, जिस में जीवन को सही तरीके जीना, अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलना सिखाया गया। देश के राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी ने आजादी की लड़ाई में अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। एक सूती धोती तन पर लपेटे एक लाठी के बल पर स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई में कूद पड़े। वह विदेश से वकालत पढ़कर आए थे। उनका भविष्य संवर सकता था लेकिन उन्होंने भारतीयों को गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने के लिए विलासिता की जीवन त्याग कर आश्रम में रखना चुना। देश की आजादी के लिए हर नागरिक को स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया।

* ताकत शारीरिक शक्ति से नहीं आती है। यह तो अदम्य इच्छाशक्ति से आती है।

* कुछ करना है तो प्यार से करें, वरना न करें।

* गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती। वह तो केवल अपनी खुशबू बिखेरता है। खुशबू ही उसका संदेश है।

* आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी।

* निःशस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी।

* क्रूरता का उत्तर क्रूरता से देने का अर्थ अपने नैतिक व बौद्धिक पतन को स्वीकार करना है।

* डर शरीर का रोग नहीं है, यह आत्मा को मारता है।

* आजादी का कोई अर्थ नहीं है, अगर उसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हो।

* गौरव लक्ष्य पाने के लिए प्रयास करने में है, न कि लक्ष्य तक पहुंचने में

 * स्वास्थ्य ही सही धन है। सोने और चांदी का मूल्य इसके सामने कुछ भी नहीं।


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