क्यों अब रायगढ़ के किसान हाई कोर्ट जाएंगे

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2013 में केन्द्रीय उड़ान और विमानन मंत्रालय ने कोड़ातराई में एयरपोर्ट डेवलप करने की प्लानिंग बनाई थी। तकनीकी दिक्कतें और मामले के कोर्ट में जाने के कारण एयरपोर्ट नहीं बन पाया। 2013 में भू-अर्जन को लेकर धारा 4 प्रक्रिया शुरू हुई थी। इस प्रक्रिया को तत्कालीन कलेक्टर अमित कटारिया ने की थी। तब से वहां पर अभी तक जमीन अधिग्रहण नहीं हो सका, लेकिन जमीन संबंधी कामकाज नहीं हो पा रहा है।

इसे लेकर जकेला, औरदा, कोड़ातराई, बेलपाली जैसे गांवों में लोग जमीनों को ना तो खरीदी-ब्रिक्री कर पा रहे हैं और ना ही डायवर्सन हो रहा है। कुछ लोगों की मौत के बाद जमीन का परिजनों में बंटवारा होना है, यह भी अटका हुआ है। किसान से लेकर राजनीतिक संगठनों के लोग बैन हटाने की मांग कर रहे हैं। एक-एक गांवों में 30-30 से अधिक किसानों की जमीन पर खरीद-बिक्री प्रतिबंधित है। जमीन संबंधी कामकाज नहीं होने के साथ वहां पर हवाई अड्डे के अगल बगल में भी निर्माण भी नहीं हो रहा है।

हालांकि इसमें कलेक्टर के विशेष अनुमोदन से इसमें प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। कई बड़े किसानों ने पहले इस प्रक्रिया अपनाते हुए काम भी कराया है, लेकिन क्षेत्र के छोटे और बड़े किसानों को राजस्व प्रकरणों पर बैन लगने से कई तरह परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें कलेट्रेट से लेकर एसडीएम दफ्तर के चक्कर लगाना पड़ रहा है।

हमें राहत नहीं मिली, अब हाई कोर्ट में लगाएंगे गुहार

 कोड़ातराई और आसपास इलाकों में राजस्व संबंधी प्रकरण और खरीदी-ब्रिक्री पर प्रतिबंध है। प्रभावित इलाके के किसानों से लेकर सरपंच जिला प्रशासन को ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन राहत नहीं मिली। आने वाले समय में कोई फैसला नहीं हुआ, हम हाई कोर्ट जाएंगे।


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