नि:संतान महिलाओं ने पेट के बल लेटकर की संतान प्राप्ति की कामना

feature-top

दिवाली पर्व मनाने के बाद पड़ने वाले पहले शुक्रवार को गंगरेल मड़ई का आयोजन मां अंगारमोती मंदिर परिसर में हुआ। मड़ई में 52 गांवों के देवी-देवता शामिल हुए। पूजा-अर्चना कर नि:संतान महिलाओं ने संतान प्राप्ति की कामना कर जल चढ़ाया। मड़ई का आनंद उठाने क्षेत्र के हजारों लोगों की भीड़ शामिल हुए।

मां अंगारमोती शक्तिपीठ गंगरेल में हजारों श्रद्धालुओं की आस्था सालों से जारी है। मंदिर परिसर में दिवाली के बाद पड़ने वाले पहले शुक्रवार 28 अक्टूबर को यहां मड़ई का आयोजन हुआ। इस मड़ई में डुबान क्षेत्र समेत अन्य जिलों के देवी-देवता शामिल हुए। यहां पहुंचे बैगा हाथ में त्रिशूल, कासल, सांकल आदि रख संस्कृति का प्रदर्शन किया। युवक मड़ई लेकर उनकी अगुवाई करते रहे। जगह-जगह इनकी पूजा-अर्चना भी की गई। वहीं अंगारदेवता पारंपरिक बाजे की थाप पर थिरकते रहे।

मड़ई का आनंद उठाने यहां धमतरी, गंगरेल समेत अंचल से हजारों की संख्या में लोग पहुंचे और अपने परिवार की सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। साल की पहली मड़ई होने के कारण यहां शहर समेत गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। मड़ई का मुख्य आकर्षण 52 गांवों से पहुंचने वाले देवी-देवता रहते हैं, जिन्हें विधि-विधान के साथ मां अंगारमोती के दरबार में आमंत्रित किया जाता है। इन देवी-देवताओं के साथ आंगा देवता भी आते हैं, जिसे देखने भीड़ रहता है।


feature-top