आर्थिक आधार पर आरक्षण का विरोध और हिमायत करने वालों की दलीलें क्या हैं

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आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है, लेकिन अदालत का फ़ैसला आते ही विवाद शुरू हो गया है.।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भी बँटा हुआ है, पाँच जजों में से तीन ने आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने के पक्ष में जबकि दो ने इसके विरोध में फ़ैसला दिया है. दो जजों ने आर्थिक आधार पर आरक्षण देने को लेकर असहमित ज़ाहिर की है.

दिलचस्प बात ये है कि आर्थिक आरक्षण के प्रावधान से असहमत जजों में भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित भी शामिल हैं, दूसरे जज रवींद्र भट्ट हैं जो आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के पक्ष में नहीं हैं.

यह मामला शुरुआत से ही विवादित रहा है. सरकार के इस निर्णय का कई राजनीतिक दलों ने स्वागत किया था, लेकिन तमिलनाडु की डीएमके और बिहार में राष्ट्रीय जनता दल जैसी पार्टियों ने इसका विरोध किया था.


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